उत्तर प्रदेश में हुए लोकसभा उपचुनाव में समाजवादी पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा। रामपुर और आजमगढ़ दोनों ही लोकसभा सीटों पर, जो कभी सपा का गढ़ मानी जाती थी, वहां पर सपा को हार का सामना करना पड़ा। रामपुर में आजम खान की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई थी, तो वहीं आजमगढ़ में अखिलेश यादव की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई थी। रामपुर से सपा की ओर से आजम खान के करीबी आसिम रजा मैदान में थे और आजम खान ने काफी चुनाव प्रचार भी किया था।

इसी मुद्दे को लेकर समाचार चैनल इंडिया टीवी पर बहस चल रही थी। बहस में बीजेपी प्रवक्ता, एआईएमआईएम के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष कलीमुल हाफिज और सपा की प्रवक्ता नाहिद लारी खान भी मौजूद थीं। बहस के दौरान एआईएमआईएम नेता ने आरोप लगाया कि रामपुर में आजम खान और बीजेपी की मिलीभगत से सपा की हार हुई है। तो वहीं सपा की प्रवक्ता ने रामपुर में हार का पूरा गणित बताया।

बहस के दौरान एआईएमआईएम के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष कलीमुल हाफिज ने कहा, “मुसलमानों ने सपा को वोट दिया लेकिन जब मुसलमानों पर अत्याचार हुए, उनके खिलाफ मुकदमे दर्ज हुए, एनएसए लगाए गए तब सपा ने कोई बड़ा आंदोलन नहीं किया। यहीं से मुसलमान सपा से नाराज हो गया।” एआईएमआईएम के नेता ने एक आर्टिकल का हवाला देते हुए कहा कि ऐसा कैसे हो गया कि आजम खान के करीबी एमएलसी को बीजेपी ने टिकट दे दिया और बीजेपी चुनाव जीत गई। जरूर कहीं ना कहीं कुछ मिलीभगत थी।

वहीं बहस के दौरान एआईएमआईएम नेता का जवाब देते हुए सपा की प्रवक्ता ने कहा कि रामपुर में बसपा के करीब 13% वोट थे और वोटरों को उम्मीद थी कि बहन जी बीएसपी के वोट को आजम खान जी के पक्ष में डालने के लिए कहेंगी। लेकिन मायावती जी ने कोई अपील नहीं की, जिसके कारण कुछ वोटर उनके घर बैठ गए और कुछ बीजेपी और सपा को वोट कर दिए और इसी कारण सपा प्रत्याशी की हार हुई।

बता दें कि रामपुर में सपा और बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला था क्योंकि बसपा ने अपने उम्मीदवार को नहीं उतारा था। सपा ने आजम खान के कहने पर आसिम राजा को उम्मीदवार बनाया था, जबकि बीजेपी ने आजम खान के ही करीबी रहे घनश्याम लोधी को टिकट दिया था।