जनवादी सोशलिस्ट पार्टी के अध्यक्ष संजय चौहान ने कहा कि मैं 2017 विधानसभा चुनाव के बाद समाजावादी पार्टी से जुड़ा था। तब अखिलेश यादव के पास मुझे देने के लिए कुछ नहीं था। उस वक्त मेरे सामने बीजेपी भी विकल्प थी। उन्होंने कहा कि मैं बीजेपी के फासीवाद और पूंजीवाद के खिलाफ लड़ना चाहता था। मुझे लगा कि अखिलेश यादव एक ऐसे व्यक्तिव हैं। जिनके साथ लड़कर के बीजेपी से मुकाबला किया जा सकता है।
चौहान ने कहा कि 2017 से जुड़कर के मैं अभी तक अखिलेश यादव के साथ संघर्ष किया। उन्होंने कहा कि 2019 का लोकसभा चुनाव भी सपा के साथ मिलकर लड़ा। यूपी विधानसभा 2022 के चुनाव में जो भी पार्टी ने टास्क दिया। उसके बाद मैंने अपना कार्यक्रम बनाया और पूरी शिद्दत के साथ अपने पार्टी के पदाधिकारियों के साथ पिछड़े लोगों के साथ भरोसा और विश्वास दिलाया कि अखिलेश यादव के नेतृत्व में खड़ा होना है। अगर सरकार बनेगी तो सभी पिछड़े और दलित वर्ग को सम्मान मिलेगा और इनका हक और हिस्सा मिलेगा।
उन्होंने बताया कि विधानसभा के चुनाव के दौरान मुझे पर्याप्त सीटें भी नहीं दी गईं। उन्होंने कहा कि मुझसे दो महीने पहले उदयवीर ने अपने लड़ने वाले प्रत्याशियों का नाम और विधानसभा मांग ली गई थी। राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव खुद हमारे कार्यालय का उद्घाटन करने आए थे। उसी दिन हमने उदयवीर सिंह को पूरी डिटेल दे दी थी। उन्होंने कहा हमने 13 सीटों की लिस्ट दी थी और उनको बताया था कि इन सीटों पर हम लड़ना चाहते हैं। उसके बाद हमारे दो कार्यकर्ताओं को सपा द्वारा चुनाव लड़ाया गया। उसके बावजूद मैंने न अखिलेश यादव के साथ कोई समस्या खड़ी की और न ही पार्टी के सामने कोई समस्या खड़ी की। उन्होंने कहा कि मेरी सोच थी कि 2022 में किसी भी तरह सरकार बने।
चौहान ने कहा कि मैं लोकसभा का चुनाव भी लड़ा था। मुझे पार्टी ने लड़ाया। मैं किसी से खराब चुनाव नहीं लड़ा था। मुझे जबरदस्ती चंदौली से हराया गया। मुझे पांच लाख के लगभग वोट मिले थे। 10 वोट से चुनाव हारे थे। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव की जब लड़ने की बारी आई, तब उदयवीर सिंह ने कहा कि आप विधानसभा का चुनाव मत लड़िए। आप पार्टी कैंपेन पर ध्यान दीजिए। पार्टी के जनाधार को बढ़ाइए। मुझसे कहा गया कि सरकार बनेगी तो आपको सरकार में एमएलसी बनाकर शामिल किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि अगर मैं विधानसभा का चुनाव लड़ता तो मैं बिल्कुल जीतता। केशव मौर्या और ओपी राजभर के फैक्टर अलग हैं। ये सभी लोग चुनाव लड़े, लेकिन मुझे तो चुनाव से वंचित कर दिया गया। एमएलसी चुनाव जब आया, तो उसमें मेरा नाम नहीं था। इससे कार्यकर्ताओं में गलत मैसेज गया है। साथ ही उन्होंने कहा कि हम अखिलेश यादव के साथ ही चुनाव लड़ेंगे।