उत्तर प्रदेश में नए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश के बाद बनाया गया एंटी रोमियो स्कवैड काफी सक्रियता से काम कर रहा है। हालांकि कई जगहों से उनके काम करने के तरीके को लेकर शिकायतें भी मिली हैं। कई लोगों का कहना है कि यह एक तरह की मोरल पुलिसिंग है। हालांकि मेरठ के एसपी आलोक प्रियदर्शी ने दावा किया कि इसमें किसी भी प्रकार की मोरल पुलिसिंग नहीं है और ऐसा सिर्फ महिलाओं की सुरक्षा के लिए किया जा रहा है। अंग्रेजी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, मेरठ की टीम में काम कर रहे एक पुलिसकर्मी ने कहा कि वह आंखे देखकर बता देते हैं कि कौन रोमियो है। कॉन्स्टेबल ने कहा, “अब किसी के चेहरे पर तो नहीं लिखा होता कि कौन रोमियो है। पर हमारी इतने साल की ड्यूटी है कि हम लड़कों की आंखे से, उनके चेहरे से और उनके खड़े होने के अंदाज से पहचान लेते है कि कौन शरीफ घर का है और कौन रोमियो है।”

शहर में स्थित लड़कियों के कॉलेज के बाहर खड़े एक लड़के से टीम ने पूछताछ की तो लड़ने ने कहा कि वो सिर्फ अपनी दोस्त से मिलने आया है। लड़के को पकड़ते हुए कॉन्स्टेबल बोला, “एक लड़का और एक लड़की कभी दोस्त नहीं हो सकते। अगर तुम दोनों इतने ही अच्छे दोस्त हो तो लड़की के घर जाओ, उसके अभिभावकों की अनुमति लो और फिर बात करो। बाहर का माहौल खराब मत करो।”

क्या है एंटी रोमियो कैंपेन:

उत्‍तर प्रदेश में योगी आदित्‍य नाथ के नेतृत्‍व में भाजपा सरकार बनते ही पुलिस ने मनचलों पर कार्रवाई करने के लिए एंटी रोमियो कैंपेन चलाया है। इसका उद्देश्‍य सार्वजनिक जगहों पर लड़कियों और महिलाओं से छेड़खानी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई है। हालांकि कई ऐसे मामले भी सामने आए हैं जहां पुलिस ने मनचलों पर कार्रवाई करने के बजाय आम युवकों को प्रताडि़त कर दिया। उदाहरण के तौर पर लखनऊ में पुलिस ने एक युवक को उस समय हिरासत में ले लिया जब वह अपनी दोस्‍त के साथ फिल्‍म देखने के लिए रिक्‍शा से जा रहा था। बाद में जब युवक का दोस्‍त आया तो उसे छोड़ा गया। हालांकि पुलिस का कहना है कि इस तरह की कार्रवाई गलत है। अगर शिकायत मिलती है तो पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।