लोकसभा चुनाव के पहले बहुजन समाजपार्टी की राष्टीय अध्यक्ष मायावती ने वंशवाद की लाइन ले ली। उन्होंने भतीजे आकाश आनंद को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। चूंकि मायावती ने हमेशा कांग्रेस और समाजवादी पार्टी समेत तमाम राजनीतिक दलों के मुखिया पर परिवारवादी होने का आरोप लगाया, ऐसे में उनका भी उसी रास्ते पर चलकर आकाश आनंद को अपना उत्तराधिकारी घोषित करना खांटी बसपाइयों को खटक रहा है।
आकाश आनंद का छह साल पहले ही राजनीति में दाखिला हुआ है। मायावती के छोटे भाई आनंद कुमार के बेटे आकाश ने लंदन से मास्टर आफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन की डिग्री ली है। इस वर्ष मार्च में आकाश का विवाह बसपा के पूर्व राज्यसभा सांसद अशोक सिद्धार्थ की पुत्री प्रजा के साथ हुआ। उन्होंने छह साल में एक भी चुनाव नहीं लड़ा है। बावजूद इसके मायावती ने उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय समन्वयक बनाया हुआ है। पर्दे के पीछे रह कर छह साल से आकाश पार्टी के लिए काम कर रहे हैं। उन्हें युवाओं को बसपा के साथ जोड़ने की मायावती ने बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है।
पिछले दिनों राजस्थान में हुए विधानसभा चुनाव के दरम्यान आकाश राजस्थान में साढ़े तीन हजार किलोमीटर की सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय संकल्प यात्रा कर चुके हैं। जिन राज्यों में बहुजन समाज पार्टी की पकड़ ढीली है, वहां पार्टी की जड़ें जमाने की जिम्मेदारी मायावती ने आकाश को सौंपी है। उत्तर प्रदेश में कभी पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने वाली बसपा आज अपने वोट बैंक को वापस लाने के लिए संघर्ष कर रही है। बसपा का यह वोट बैंक वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव से भारतीय जनता पर्टी के साथ खड़ा हो गया है। इन मतदाताओं को दोबारा बहुजन समाज पार्टी के साथ जोड़ना आकाश के लिए बड़ी चुनौतियों में से एक है।
बसपा से जुड़े पुराने कार्यकर्ता कहते हैं कांशीराम ने पहले डीएस-4 और फिर बसपा बनाई। उस वक्त उन्होंने ख्वाब में भी नहीं सोचा होगा कि कभी बसपा में भी परिवारवाद का जन्म होगा। कांशीराम की बसपा ने कांग्रेस का दलित मतदाता अपनी तरफ खींचा था। एक दौर वह भी था जब इसी उत्तर प्रदेश में मायावती ने न जाने कितने जिलों में साइकिल चलाई और लोगों से सीधा संवाद स्थापित किया।
ऐसे समय में जब यूपी में बसपा के चुनाव जीतने के आसार दूर-दूर तक नहीं थे. तब मायावती ने बुलंदशहर से बिजनौर तक साइकिल चलाई। कांशीराम ने इसलिए मायावती को अपना उत्तराधिकारी बनाया। आकाश को अपना उत्तराधिकारी बनाकर मायावती ने उनके कंधों पर जिम्मेदारी का भारी बोझ डाल दिया है। दरअसल मायावती ने सालों पहले से जनता के पास गावों में जाना बंद कर दिया है। सिर्फ चुनावी सभाओं में उनका दीदार प्रदेश की जनता कर पाती है। ऐसे में आकाश को उत्तर प्रदेश की हर दलित बस्ती तक खुद सम्पर्क बनाना होगा। बगैर ऐसा किए बसपा की डोर को मजबूत करना आकाश के लिए नामुमकिन होगा।
इस बाबत समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता राजेंद्र चौधरी कहते हैं, मायावती अंतिम बार गांव जाकर लोगों से कब मिलीं, किसी को याद नहीं। उनका पारंपरिक मतदाता उनसे बहुत दूर जा चुका है। रही सही कसर अपने भतीजे को उत्तराधिकारी घोषित करने के उनके एलान ने पूरी कर दी है। बसपाइयों में इस घोषणा से नाराजगी है। लोकसभा चुनाव में बसपा को उनकी जमीनी हकीकत का अहसास उत्तर प्रदेश की जनता कराएगी।