Imran Masood: उत्तर प्रदेश के बड़े मुस्लिम नेताओं में पहचान रखने वाले इमरान मसूद की फिर से कांग्रेस में घर वापसी हो रही है। पार्टी छोड़ने के डेढ़ साल से अधिक समय बाद कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव इमरान मसूद शनिवार को पार्टी में वापसी करने वाले हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर और उसके आसपास प्रभाव रखने वाले मसूद जनवरी 2022 में राज्य विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी (सपा) में चले गए और फिर पिछले अक्टूबर में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) में शामिल हो गए। उन्हें अगस्त में मायावती के नेतृत्व वाली पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था।

मसूद ने गुरुवार को द इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ‘मैं 7 अक्टूबर को कांग्रेस में शामिल होऊंगा। यह मेरी घर वापसी जैसा होगा। मैं कांग्रेस नहीं छोड़ना चाहता था, लेकिन अपने समर्थकों के दबाव के कारण मुझे कांग्रेस पार्टी छोड़नी पड़ी। अब मुझे लगता है कि घर वापसी करने का समय आ गया है।’

कांग्रेस नेताओं ने कहा कि मसूद की दोबारा एंट्री से पार्टी को ऐसे समय में सहारनपुर क्षेत्र में बढ़त मिलेगी, जब विपक्षी गुट इंडिया गठबंधन लोकसभा चुनावों के लिए सीट-बंटवारे की बातचीत पर विचार कर रही हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे में पार्टी को फायदा है, क्योंकि पश्चिमी यूपी में उनके कद का कोई मुस्लिम नेता नहीं है।

‘मेरा पहला काम पश्चिमी यूपी में कांग्रेस को मजबूत करना होगा’

यह पूछे जाने पर कि पार्टी में उनकी भूमिका क्या होगी और क्या वह लोकसभा चुनाव लड़ेंगे? 52 साल के मसूद ने कहा, “मेरा पहला काम पश्चिम यूपी में कांग्रेस को मजबूत करना होगा। जहां तक अन्य भूमिकाओं की बात है, पार्टी नेतृत्व मेरे लिए जो भी निर्णय लेगा, मैं उसे स्वीकार करूंगा।”

मसूद अपने मन की बात कहने के लिए जाने जाते हैं। चाहे वह कांग्रेस में रहते हुए एसपी के साथ गठबंधन के पक्ष में हों, या जब वह मायावती की पार्टी में थे तो बीएसपी को इंडिया ब्लॉक में शामिल होने का सुझाव देना हो। मसूद पश्चिम यूपी के लिए राज्य के दर्जे के भी समर्थक हैं। बिल्कुल भाजपा नेता संजीव बालियान की तरह, जिन्होंने इस सप्ताह की शुरुआत में मांग उठाई थी।

मसूद ने कहा कि वह कांग्रेस में शामिल होने के बाद इस मांग को उठाने में संकोच नहीं करेंगे। उन्होंने कहा, ‘मेरी मांग का किसी और से कोई लेना-देना नहीं है। मैं और मेरे कार्यकर्ता दो दशकों से पश्चिमी यूपी को अलग राज्य बनाने की मांग कर रहे हैं। हम भी लंबे समय से हाई कोर्ट बेंच की मांग कर रहे हैं, क्योंकि अब तक हमें कोर्ट में पेशी के लिए लखनऊ या इलाहाबाद जाना पड़ता है, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ। यह पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोगों के साथ अन्याय है, जिसे केवल एक अलग राज्य बनने पर ही ठीक किया जा सकता है।’

कांग्रेस के सूत्रों ने कहा कि मसूद ने पिछले साल पार्टी छोड़ दी, क्योंकि वह अपने करीबी सहयोगियों के लिए टिकट सुरक्षित करने में विफल रहे। इसके बाद वह यह कहते हुए अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली सपा में शामिल हो गए कि यह एकमात्र पार्टी है जो वास्तव में यूपी में भाजपा को हरा सकती है, या कम से कम लड़ाई लड़ सकती है, लेकिन जब उनका यह महसूस नहीं हुआ कि पार्टी उन्हें महत्व नहीं दे रही है, तब वह बसपा की ओर चले गए, जिसने उन्हें पश्चिम यूपी का संयोजक नियुक्त किया और उन्हें उत्तराखंड में अल्पसंख्यक समुदाय तक पहुंचने की अतिरिक्त जिम्मेदारी दी।

लेकिन जब मसूद ने इंडिया ब्लॉक में कांग्रेस की भूमिका पर राहुल और प्रियंका गांधी की प्रशंसा की और वकालत की कि बसपा को भी गठबंधन का हिस्सा होना चाहिए, तो अनुशासनहीनता के आरोप में उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ उगल चुके हैं जहर

मसूद 2014 में तब सुर्खियों में आए जब एक वायरल वीडियो क्लिप में उन्हें सहारनपुर में एक चुनावी भाषण के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी को धमकी देते हुए और 2013 में मुजफ्फरनगर दंगों के लिए भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को दोषी ठहराते हुए दिखाया गया था। हालांकि, मसूद भाजपा से चुनावी लड़ाई हार गए, लेकिन बाद में वह क्षेत्र के सभी राजनीतिक दलों के रडार पर थे।

बीजेपी के सत्ता में आने के बाद उनके खिलाफ नफरत फैलाने वाले भाषण का मामला दर्ज किया गया था। पांच साल बाद सहारनपुर में बसपा के हाजी फजरुल रहमान (5.14 लाख वोटों के साथ) ने मौजूदा विधायक राघव लखन पाल (4.19 लाख वोटों के साथ) के खिलाफ त्रिकोणीय लड़ाई जीती, मसूद फिर भी लगभग दो लाख वोट पाने में कामयाब रहे। यह सहारनपुर और उसके आसपास अल्पसंख्यक वोटों में उनकी लोकप्रियता का प्रभाव है। हालांकि, इमरान मसूद के शामिल होने से कांग्रेस पार्टी को मुस्लिम वोट शेयर में इजाफे की उम्मीद है।

कौन हैं इमरान मसूद?

इमरान मसूद का जन्म सहारनपुर जिले के गंगोह इलाके में हुआ। उनके परिवार की गिनती प्रभावशाली परिवारों में होती है। इमरान के चाचा काजी रशीद मसूद एक नामी नेता रहे। उन्होंने राजनीति में अपने परिवार का काफी नाम बनाया है। इमरान के चाचा काजी रसीद मसूद 1977 से 2004 के बीच 5 बार सहारनपुर से लोकसभा सांसद चुने गए। इसके अलावा वह तीन बार राज्यसभा सांसद रहे।

इमराम मसूद की राजनीतिक सफर की शुरुआत क्षेत्रीय राजनीति से हुई है। साल 2006 में वह सहारनपुर नगर पालिका के चेयरमैन का चुनाव जीते। इसके बाद उन्होंने सपा से 2007 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए टिकट मांगा, लेकिन जब सपा ने उन्हें टिकट देने से मना किया, तो उन्होंने निर्दलीय ही मैदान में उतरने का फैसला किया। इमरान को निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जीत मिली।

मसूद 2007 से लेकर 2012 तक विधायक रहे। फिर उन्होंने 2012 में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस का दामन थामा। कांग्रेस ने उन्हें नकुड़ विधानसभा से टिकट भी दिया, मगर उन्हें इस चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। 2014 में पाला बदला और वह सपा में शामिल हो गए। सपा ने उन्हें 2014 में सहारनपुर से लोकसभा टिकट भी दिया, मगर वह यहां भी चुनाव हार गए। 2017 में एक बार फिर से उन्होंने कांग्रेस में लौटने का फैसला किया। वह इस पार्टी में पांच साल तक रहे, मगर फिर 2022 में वह फिर से सपा में शामिल हो गए। इसके बाद यूपी में होने वाले निकाय चुनाव से ठीक पहले वह बसपा में चले गए। हालांकि, उन्होंने राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की तारीफ की और कहा कि बसपा को इंडिया गठबंधन में शामिल होना चाहिए। इस पर बसपा ने उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया।