Lok Sabah Elections 2024: बसपा सुप्रीमो मायावती ने गुरुवार को बड़ा ऐलान किया। उन्होंने कहा कि बसपा लोकसभा का चुनाव अकेले दम पर लड़ेगी। इस दौरान बसपा चीफ ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के पार्टी कार्यक्रमों को लेकर कैडर के नेताओं के साथ गहन समीक्षा भी की। साथ ही कांग्रेस और बीजेपी पर निशाना भी साधा।
मायावती ने कहा कि देश और यूपी सहित विभिन्न राज्य सरकारों को संकीर्ण जातिवादी और जनविरोधी नीतियों और कार्यप्रणाली को लेकर राजनीतिक हालात तेजी से बदल रहे हैं। ऐसे में किसी एक पार्टी का वर्चस्व नहीं होकर के लोग बहुकोणीय संघर्ष का रास्ता चुनने को आतुर हैं। ऐसे में लोकसभा का अगला आम चुनाव दिलचस्प, संघर्षपूर्ण और व्यापक, जनहित, देशहित में साबित होने की प्रबल संभावना है। जिसमें बसपा की अहम भूमिका होगी।
बसपा चीफ मध्य प्रदेश में भाजपा, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस दक्षिण के तेलंगाना राज्य में बीआरएस पार्टी की राज्य सरकार में चुनावी टक्कर देने के लिए उन राज्यों में सघन दौरा करने के बाद पार्टी के पदाधिकारियों के साथ बैठक में बोल रही थीं।
मायावती ने कहा कि ऐसे में पार्टी को समय-समय पर दिए जा रहे जरूरी दिशा-निर्देशों पर ईमानदारी और निष्ठापूर्वक, मेहनत करके अच्छा रिजल्ट जरूर हासिल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसा होने पर बाबा साहेब अम्बेडकर के ‘आत्म सम्मान और स्वाभिमान मूवमेंट’ के कार्यों को केवल यूपी जैसे राज्यों में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में मजबूती मिलेगी। साथ ही समस्त गरीबों, वंचितों, शोषितों, पीड़ितों में से खासकर सदियों जातिवाद के शिकार दलित, आदिवासी, अन्य पिछड़े वर्गों के साथ-साथ धार्मिक अल्पसंख्यकों में से विशेषकर मुस्लिम समाज के करोड़ों लोगों को जुल्म, ज्यादती, भेदवाभ और दूसरे दर्जे के नागरिक की तरह सरकारी व्यवहार से मुक्ति मिल जाएगी।
बसपा चीफ ने कहा कि लेकिन इसके लिए विरोधी पार्टियों और उनकी सरकारों के साम,दाम, दंड, भेद के हथकंडों को बहुजन एकता और सत्ता की मास्टर चाबी प्राप्त करने के बाद अपनी लोकतांत्रिक मजबूती प्रदान करना जरूरी होगा, जो बहुजन समाज के लिए मुश्किल काम नहीं है। क्योंकि ऐसा उन्होंने खासकर यूपी में कई बार करके दिखाया है।
मायावती ने इस दौरान कांग्रेस के साथ बीजेपी सरकार पर भी निशाना साधा। बसपा चीफ ने कहा कि जहां तक रोटी-रोजगार, सड़क, शिक्षा, पानी और स्वास्थ्य की बात है तो यह बीजेपी के शासनकाल में भी लगातार जारी है, बल्कि वास्तविकता यह है कि लोगों का दुख-दर्द घटने की बजाय बढ़ा है। साथ ही लोगों का जीवन त्रस्त हुआ है।