केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री रामदास अठावले ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) छात्रसंघ भवन में लगी मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर को लेकर उपजे विवाद को आज (05 मई को) अनावश्यक करार दिया। लखनऊ में अठावले ने संवाददाताओं से कहा कि जिन्ना की तस्वीर आजादी से पहले वहां लगी थी इसलिए उसके लगे रहने में कोई हर्ज नहीं है लेकिन जनभावनाओं को ध्यान में रखते हुए अगर उसे हटाना पड़े तो हटा देना चाहिए। एएमयू में जिन्ना की तस्वीर को लेकर खासा बवाल हो गया था। हिन्दू युवा वाहिनी और एएमयू छात्रसंघ इसे लेकर आमने सामने आ गये और हिंसा भी हुई। इसके बाद राजनेताओं एवं प्रदेश सरकार के मंत्रियों ने भी जिन्ना को लेकर तमाम बयान दिये। योगी सरकार के मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के जिन्ना पर बयान से विवाद भी हुआ।

अठावले ने दलित उत्पीड़न से जुड़े कानून पर उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर कहा कि दलित उत्पीड़न के 90 प्रतिशत मामले सही होते हैं। कानून संसद ने बनाया था। केन्द्र सरकार ने समीक्षा याचिका दायर की है और आवश्यकता पड़ी तो वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से आग्रह करेंगे कि इस संबंध में अध्यादेश लाया जाए। भाजपा सरकार के मंत्रियों और नेताओं द्वारा दलितों के घर खाना खाने के बारे में पूछे गये सवालों पर अठावले ने कहा कि दलित के यहां खाना खाने से दलित और सवर्ण एक दूसरे के करीब आते हैं। उन्होंने कहा कि दलित के यहां खाना खाने से हालांकि उसका कोई कल्याण नहीं होने वाला है लेकिन दलित और सवर्णों के बीच संबंध मजबूत होने के लिहाज से यह अच्छी पहल है।

लोकसभा के 2019 के चुनावों को लेकर अठावले ने कहा कि वह उत्तर प्रदेश में भाजपा का पूरा समर्थन करेंगे और दलित वोटों को राजग के खाते में लाने का प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा कि सपा—बसपा गठबंधन से राजग पर कोई असर नहीं पडेगा और भाजपा एवं उसके सहयोगी दल दमदार प्रदर्शन करेंगे। प्रदेश में बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की मूर्तियां तोड़े जाने की घटनाओं पर अठावले ने कहा कि ऐसी हरकत निन्दनीय है और प्रदेश सरकार को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह योगी सरकार को बदनाम करने की साजिश है।