अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) में छात्रा द्वारा ‘तिरंगा यात्रा’ निकालने पर विवाद हो गया है। खबर है कि तिरंगा यात्रा निकालने वाले छात्रों को प्रशासन ने कारण बताओ नोटिस भेजा है। मीडिया गलियारे में वायरल हुए नोटिस में लिखा गया है कि तिरंगा यात्रा के लिए छात्रों ने प्रशासन से अनुमति नहीं ली। नोटिस में लिखा गया, ‘रैली का आयोजन करने वाले छात्रों ने इसके लिए पूर्व में अनुमति नहीं ली। रैली यूनिवर्सिटी के शिक्षण और सीखने के माहौल में परेशानी पैदा करती है।’ प्रशासन ने छात्रों से 24 घंटे के भीतर स्पष्टीकरण देने के कहा है। ऐसा नहीं करने की सूरत उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।

आयोजकों में से एक अजय सिंह ने कहा कि उन्होंने रैली के लिए आवेदन किया था। प्रशासन ने उनके आवेदन को ना तो स्वीकार किया और ना ही इसे रद्द किया। उन्होंने कहा, ‘ऐसा पहली बार नहीं है जब उनके निवेदन को रद्द कर दिया गया। इसके पहले भी हमने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर कैंडल मार्च निकालने की अनुमति मांगी थी। मगर प्रशासन ने इसकी अनुमति नहीं थी।’

आरोपों को निराधार बताते हुए सिंह ने कहा, ‘शांतिपूर्वक बैठक करना हमारा संवैधानिक अधिकार है। छात्र मामले को मानव संसाधन विकास मंत्रालय के समक्ष उठाएंगे।’ इस बात से इनकार करते हुए कि रैली में किसी बाहरी व्यक्ति ने हिस्सा नहीं लिया, सिंह ने दावा किया कि यूनिवर्सिटी प्रशासन ने उन कश्मीरी छात्रों को नहीं रोका जिन्होंने मन्नान वाणी के लिए प्रार्थना सभा की योजना बनाई।

जानना चाहिए एएमयू पूर्व में विवादों में घिर चुका है। पिछले साल पाकिस्तान संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर स्टूडेंट हॉल में होने से खासा विवाद पैदा हुआ था। तब यूनिवर्सिटी के पीआरओ सैफी किदवई ने कहा कि मोहम्मद अली जिन्ना साल 1938 में अलीगढ़ यूनिवर्सिटी आए थे। उन्हें कहा कि यूनियन द्वारा कई अन्य लोगों की तरह मानद उपाधि दी गई थी।

उन्होंने कहा था कि यूनिवर्सिटी का छात्रसंघ एक स्वतंत्र संस्था है। छात्रसंघ ने 1920 में आजीवन सदस्यता देन की शुरुआत की थी। तब महात्मा गांधी और जिन्ना को भी सदस्यता मिली थी, तभी वहां जिन्ना की तस्वीर लगाई गई थी।