UP Politics: उत्तर प्रदेश में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) से समाजवादी पार्टी (सपा) का गठबंधन टूटने के बाद सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओपी राजभर के प्रभाव वाले उन सात जिलों में अपना शक्ति प्रदर्शन मंगलवार (9 अगस्त, 2022) से शुरू कर दिया है। जिसको सीधे तौर पर सुभासपा को चैलेंज के तौर पर माना जा रहा है।

तिरंगा यात्रा की शुरुआत अखिलेश यादव ने कन्नौज से की। वहीं यूपी विधानसभा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी ने गाजीपुर से झंडी दिखाकर ‘देश बचाओ, देश बनाओ’ यात्रा को रवाना किया। यह यात्रा गाजीपुर की सात विधानसभा क्षेत्रों में घूमते हुए बलिया, मऊ, आजमगढ़, जौनपुर और भदोही से होते हुए वाराणसी तक जाएगी।

बताया जा रहा है कि ओपी राजभर गाजीपुर को अपना गढ़ मानते हैं। वह यहां पर अब समाजवादी पार्टी का विरोध करेंगे। पहले चरण में यह यात्रा पूर्वांचल के सात जिलों में निकाली जाएगी। दरअसल, सपा इस यात्रा से एक ही साथ बीजेपी और ओम प्रकाश राजभर के वोट बैंक में सेंध लगाना चाहती है।

बता दें, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने साल 2017 का विधानसभा चुनाव भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर लड़ा था। उस समय उनके खाते में चार सीटें आईं थीं। वहीं 2022 का यूपी विधानसभा चुनाव सुभासपा ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में लड़ा। जिसमें सुभासपा ने 18 सीटों पर चुनाव लड़ा था। जबकि छह सीटों पर सुभासपा ने जीत दर्ज की थी।

राजभर वोटों की ताकत-

सुभासपा का मानना है कि पूरे देश में राजभर चार प्रतिशत है तो वहीं यूपी में 12 फीसदी से अधिक है। पूर्वांचल में वह राजभर मतदाताओं की संख्या 12 से 22 प्रतिशत के करीब मानते हैं।

वहीं एक अनुमान के अनुसार, पूर्वांचल की दो दर्जन लोकसभा सीटों पर राजभर समाज का वोट 50 हजार से ढाई लाख तक है। घोसी, बलिया, चंदौली, सलेमपुर, गाजीपुर, देवरिया, आजमगढ़, लालगंज, अंबेडकरनगर, मछलीशहर, जौनपुर, वाराणसी, मिर्जापुर, भदोही राजभर बहुल माने जाते हैं।
पूर्वांचल में राजभर की संख्या अधिक होने के कारण ओम प्रकाश शुरू से ही पूर्वांचल राज्य बनाने की मांग करते रहे हैं।

ओम प्रकाश राजभर की मांग-

राजभर ओबीसी में आते हैं। ओम प्रकाश राजभर का कहना है राजभर सामाजिक और आर्थिक रूप से बहुत पिछड़े हुए हैं। उन्हें एससी में शामिल कर एससी का कोटा बढ़ाया जाना चाहिए। राजभर का यह भी दावा है कि ओबीसी आरक्षण लाभ कुछ ही जातियों को मिला है। राजभर, चौहान, मौर्या, कुशवाहा, प्रजापति, पाल, नाई, गौड़, बांध, केवट, मल्लाह, गुप्ता, चौरसिया, लोहार, अंसारी, जुलाहा, धनिया को ओबीसी आरक्षण का लाभ नहीं मिला।

एससी आरक्षण को लेकर राजभर का कहना है कि इसका लाभ चमार, धुसिया को मिला, लेकिन अन्य दलित जातियों- मुसहर, बांसफोर, धोबी, सोनकर, दुसाध, कोल, पासी, खटिक, नट को एससी आरक्षण का लाभ नहीं मिला।

वहीं ओपी राजभर ओबीसी आरक्षण को तीन भागों- पिछड़ा, अति पिछड़ा और सर्वाधिक पिछड़ा में बांटकर ओबीसी जातियों का उनकी संख्या के अनुसार आरक्षण की मांग करते रहे हैं।