Electricity Workers Strike in UP: उत्तर प्रदेश में बिजली कर्मचारियों ने गुरुवार (16 मार्च) की रात से 72 घंटे की हड़ताल शुरू कर दी है। विद्युत कर्मचारियों द्वारा अलग-अलग जगहों पर हड़ताल और नारेबाजी की गयी। वहीं, दूसरी ओर सरकार ने इस मुद्दे पर सख्त रुख दिखाया है।
सरकार और बिजली कर्मचारियों के बीच बातचीत बेनतीजा
राज्य सरकार और विरोध करने वाले उत्तर प्रदेश बिजली विभाग के कर्मचारियों के बीच बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकलने पर कर्मचारी गुरुवार रात 10 बजे से 72 घंटे की हड़ताल पर चले गए। अनपरा, ओबरा, पारीछा और हरदुआगंज में थर्मल पावर हाउसों में नाइट शिफ्ट के कर्मचारी, जूनियर इंजीनियर और इंजीनियर हड़ताल पर चले गए हैं और ड्यूटी पर जाने से मना कर दिया है। कल रात करीब 10 बजे 72 घंटे की हड़ताल शुरू की गई थी। कर्मचारियों ने पदोन्नति, पेंशन और अन्य मुद्दों पर विसंगतियों का आरोप लगाया गया।
यूपी सरकार ने दी ESMA के तहत कार्रवाई की चेतावनी
वहीं, सरकार ने आवश्यक सेवा रखरखाव अधिनियम (ESMA) के तहत हड़ताली कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी। यूपी सरकार ने कहा कि अगर हड़ताल जनता के लिए समस्या पैदा करती है और अगर वे काम पर नहीं लौटते हैं तो संविदा कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया जाएगा। सरकार ने विरोध के दौरान अन्य कर्मचारियों को धमकी देने या सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) लागू करने की चेतावनी दी।
अनिश्चितकालीन आंदोलन कर सकते हैं बिजली विभाग के कर्मचारी
कर्मचारियों ने कहा है कि अगर हमारे किसी कर्मचारी पर एक्शन लिया गया तो वे अनिश्चितकालीन आंदोलन करेंगे। वहीं, ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने कहा कि अत्यावश्यक सेवाओं में शामिल विद्युत व्यवस्था में किसी भी प्रकार का व्यवधान डालने पर ESMA के तहत कार्रवाई की जाएगी।
एस्मा और एनएसए लागू करने की चेतावनी देते हुए मंत्री ने कहा, “ऐसे कर्मचारी हैं जो देश हित में हड़ताल में शामिल नहीं हो रहे हैं जबकि संघर्ष समिति के बैनर तले कुछ कर्मचारियों ने इसके साथ आगे बढ़ने का फैसला किया है। हमने मुद्दों को हल करने का प्रयास किया लेकिन दो घंटे से अधिक चली बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला।”
हालांकि, एके शर्मा ने कहा कि सरकार विरोध कर रहे कर्मचारियों द्वारा उठाए गए मुद्दों को हल करने के लिए काम कर रही है और बातचीत के लिए तैयार है लेकिन उन्हें सार्वजनिक हित को दांव पर लगाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
कर्मचारियों ने लगाया समझौते पर हस्ताक्षर नहीं करने का आरोप
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले विरोध कर रहे कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि समिति और राज्य के ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा के बीच 3 दिसंबर को हुए समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किया गया, जिससे उन्हें हड़ताल पर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने मीडियाकर्मियों को बताया, “3 दिसंबर को बिजली मंत्री और संघ समिति के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। एक खंड था जिसके तहत बिजली निगम के अध्यक्ष को हमारे मुद्दों को हल करने के लिए हमारे साथ संवाद करना था। आज 16 मार्च है लेकिन सभापति एक बार भी चर्चा करने में विफल रहे। ऐसे में कर्मचारी हड़ताल पर जाने के लिए मजबूर हुए।”