धर्म परिवर्तन के आरोप में उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में पुलिस ने एक ईसाई परिवार के तीन सदस्यों को हिरासत में लिया था। बजरंग दल के कार्यकर्ताओं द्वारा ईसाई परिवार पर धर्म परिवर्तन के आरोप लगाए गए थे। हालांकि अब जांच के बाद पुलिस का कहना है कि धर्म परिवर्तन का मामला फर्जी था। फिलहाल पुलिस ने ईसाई परिवार के सदस्यों को रिहा कर दिया है। खबर के अनुसार, यह घटना रविवार की है। दरअसल यूपी के मुरादाबाद इलाके में बजरंग दल के कुछ स्थानीय कार्यकर्ता झांझरपुर इलाके में स्थित एक सामुदायिक भवन में पहुंचे थे। जहां बड़ी संख्या में हिंदू समुदाय के लोग मौजूद थे और एक ईसाई परिवार के तीन सदस्य भी मौके पर मौजूद थे।
बताया जा रहा है कि, बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने ईसाई लोगों पर धर्म परिवर्तन के आरोप लगाए और मौके पर पुलिस को बुला लिया। जिसके बाद पुलिस ने मौके पर पहुंचकर रोसलिन मेसी, विनोद कुमार और हरीश कुमार को हिरासत में ले लिया। बजरंग दल के कार्यकर्ताओं का कहना है कि आरोपी ईसाई गरीब हिंदुओं का धर्मांतरण करा रहे थे। हालांकि अब टेलीग्राफ की एक खबर के अनुसार, कार्यक्रम में मौजूद कई हिंदुओं ने दावा किया है कि हिरासत में लिए गए ईसाई लोग लंबे समय से उनकी मदद करते आ रहे हैं और जरुरत के वक्त उनकी मदद करते हैं।
लोगों का कहना है कि हिरासत में लिए गए लोग उन्हें खाना, अनाज, बच्चों की किताबें आदि मुहैया कराते हैं, लेकिन उन्होंने कभी भी उनसे धर्मांतरण के लिए नहीं कहा है। वहीं एक स्थानीय पुलिस अधिकारी के अनुसार, उन्हें बजरंग दल कार्यकर्ताओं की तरफ से एक लिखित शिकायत मिली थी। जिसमें हिंदुओं का धर्मांतरण कराने की बात कही गई थी। जिसके बाद ईसाई समुदाय के 3 लोगों को हिरासत में लिया गया था। हिरासत में लेने के बाद पुलिस आरोपियों को सिविल लाइन थाने लाया गया। एक अन्य पुलिस अधिकारी ने बताया कि आरोपियों के खिलाफ धर्मांतरण के आरोप गलत पाए गए हैं। वहीं पीड़ित विनोद कुमार ने बताया कि पुलिस स्टेशन में उन्हें जमीन पर बिठाया गया और बजरंग दल के कार्यकर्ता कुर्सियों पर बैठे थे। विनोद ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उन्हें फंसाने की कोशिश की और हमें धमकाया गया, लेकिन वह ऐसा करने में सफल नहीं हो सके।