उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने चयन प्रक्रिया में “अनियमितताओं” का हवाला देते हुए यूपी जल निगम विभाग में हुई 1,300 लोगों की नियुक्ति रद्द कर दी है। ये सभी नियुक्तियां जल निगम विभाग के तहत विभिन्न पदों पर समाजवादी पार्टी के कार्यकाल में हुई थी। 1,300 नियुक्तियों में 853 जूनियर इंजीनियर, 122 सहायक इंजीनियर और 325 क्लर्क शामिल हैं। जेल में बंद रामपुर से समाजवादी पार्टी के सांसद, आजम खान 2016-17 के दौरान जल निगम के मंत्री थे। उनके कार्यकाल में ही यह भर्तियां हुई थी।

यूपी जल निगम के प्रबंध निदेशक विकास गोठवाल ने कहा कि पिछली सरकार के शासनकाल में भर्ती प्रक्रिया में कथित भ्रष्टाचार की जांच के लिए 2017 में एसआईटी का गठन किया गया था। सरकार द्वारा गठित एसआईटी सहित विभिन्न जांच रिपोर्टों के आधार पर नियुक्तियां रद्द कर दी गई।

सूत्रों के अनुसार, एसआईटी ने जांच के क्रम में पाया कि चयन प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। इसके बाद आजमखान, तत्कालीन प्रबंध निदेशक, जल निगम के तत्कालीन चीफ इंजीनियर और एक प्राइवेट फर्म (भर्ती परीक्षा आयोजित करने वाली) के खिलाफ चार्जशीट दायर करने की मांग की गई।

इससे पहले भाजपा सरकार ने जल निगम में 122 सहायक इंजीनियरों की भर्ती को रद्द कर दिया था। हालांकि, इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया था। नियुक्ति को रद्द करने के ताजा नोटिस में 122 अधिकारी भी शामिल हैं जिन्हें सुप्रीम कोर्ट के निर्देश द्वारा बहाल किया गया था।

सूत्रों ने बताया कि उन 122 सहायक इंजीनियरों की नियुक्ति को रद्द करने का निर्णय नए रिपोर्टों के आधार पर लिया गया है। अप्रैल 2018 में आजम खान और अन्य पर धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश, सबूतों को नष्ट करने और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था।