UP Urban Local Body Polls: उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव का परिणाम आ चुका है, लेकिन इस बार यूपी के शहरी स्थानीय निकाय (ULB) के चुनावों में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लीमीन (AIMIM) ने अपनी अलग छाप ही नहीं छोड़ी, बल्कि अल्पसंख्यक समुदाय में भारी सेंध लगाई है, जो समाजवादी पार्टी के लिए एक बड़े झटके के तौर पर देखी जा रही है।
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के यूपी नगर पालिका परिषद में पांच अध्यक्ष और नगर निगमों में 75 पार्षद हैं। वहीं मेरठ में हुए मेयर पद के चुनाव में ओवैसी के पार्टी के प्रत्याशी अनस दूसरे स्थान पर रहे। अनस को 128547 वोट हासिल मिले। यहां कुल 45.7 फीसदी मतदान हुआ, जिसमें से ओवैसी की पार्टी को 22.37 प्रतिशत वोट मिले।
AIMIM ने संभल (एशिया मुशीर), हाथरस जिले में सिकंदरा राव (मोहम्मद मुशीर), कानपुर जिले में घाटमपुर (अब्दुल अहद), मुरादाबाद में कुंदरकी नगर पंचायत (ज़ीनत मेहंदी) के रूप मे नगर पालिक परिषद की सीटें जीतीं। वहीं बरेली जिले की थिरिया निजावत खान नगर पंचायत (इमरान खान) भी AIMIM के खाते में गई।
सपा के कारण हमारे अधिकतर प्रत्याशी हारे: अनस
मेरठ में एआईएमआईएम के मेयर उम्मीदवार रहे मोहम्मद अनस ने कहा, ‘समाजवादी पार्टी, जो हमेशा से AIMIM को भाजपा की B टीम बताती रही है। उन्होंने कहा कि सच्चाई यह है कि सपा के कारण ही हमारे अधिकतर प्रत्याशी अधिकतर सीटों पर बीजेपी उम्मीदवारों को नहीं हरा सके।’
लगभग 1.28 लाख मतों के साथ अनस मेरठ मेयर चुनाव में दूसरे स्थान पर रहे। जिसको बीजेपी के हरिकांत अहलूवालिया ने 1 लाख से अधिक मतों के अंतर से जीता था। ऐसा पहली बार हुआ है कि बीजेपी 11 साल बाद नगर निगमों में शीर्ष पद पर अपना उम्मीदवार खड़ा करने में कामयाब हुई है।मुसलमानों ने एआईएमआईएम उम्मीदवार के पक्ष में भारी मतदान किया। जिसके कारण सपा उम्मीदवार सीमा प्रधान को लगभग 1.15 लाख मत मिले और वो तीसरे स्थान पर रहीं।
मुजफ्फरनगर मेयर पद की लड़ाई में भाजपा की मीनाक्षी स्वरूप ने 91942 मतों से जीत हासिल की है, जबकि सपा-बसपा गठबंधन की उम्मीदवार लवली शर्मा 80156 मतों के साथ दूसरे स्थान पर रहीं। मुजफ्फरनगर में एआईएमआईएम की प्रत्याशी छोटी कुमारी को 11531 वोट मिले।
पिछले निकाय चुनाव में AIMIM ने एक सीट पर जीत हासिल की थी
उत्तर प्रदेश के पिछले स्थानीय निकाय चुनाव में AIMIM ने नगर पालिका परिषद में अध्यक्ष की केवल एक सीट पर जीत हासिल कर सकी थी और उसके 32 पार्षद चुने गए थे, लेकिन इस बार पार्टी ने न केवल अपने प्रदर्शन में सुधार किया है, बल्कि समाजवादी पार्टी को भी एक बड़ा झटका दिया है। यूपी नगर निकाय चुनावों के लिए मतदान दो चरणों में 4 मई और 11 मई को हुआ था, जबकि वोटों की गिनती 13 मई को हुई थी।