उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद अखिलेश यादव के नेतृत्व में सपा गठबंधन की दलों की एक अहम मीटिंग मंगलवार को लखनऊ में समाजवादी पार्टी कार्यालय में हुई लेकिन इस बैठक में वरिष्ठ नेता शिवपाल सिंह यादव के नहीं आने से गठबंधन में दरार की सुगुबुगाहट शुरू हो गई है। इसको लेकर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के नेता ओपी राजभर ने किसी भी तरह दरार या फूट से इंकार किया है। उनका कहना है कि मीटिंग में कई नेता कुछ व्यक्तिगत वजह से नहीं आ सके हैं, लेकिन संबंधों में कोई खटास जैसी बात नहीं है।

ओपी राजभर ने बताया कि मीटिंग के दौरान अखिलेश यादव से इस बारे में उनकी बात हुई थी। उन्होंने कहा कि दो बार शिवपाल यादव को फोन किया था, हालांकि वे एक दिन बाद लखनऊ आएंगे और उनसे सबकी मुलाकात होगी।

इसके पहले बताया गया था कि विधानसभा चुनाव में हुई हार की समीक्षा बैठक से वरिष्ठ नेता शिवपाल सिंह यादव जानबूझकर नहीं पहुंचे। कहा जा रहा था कि वे नाराज हैं। उन्हें समय पर सूचना ही नहीं दी गई। गठबंधन के कई अन्य नेताओं को भी इस मीटिंग में शामिल होने के लिए न्योता नहीं भेजा गया। बैठक में प्रमुख रूप से अखिलेश यादव के अलावा राष्ट्रीय लोकदल के राजपाल बालियान, सुभासपा के ओमप्रकाश राजभर और अपना दल (कमेरावादी) से राष्ट्रीय महासचिव पंकज पटेल शामिल हुए। अपना दल (कमेरावादी) की नेता का जन्मदिन होने के कारण उन्होंने स्वयं न आकर अपनी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव को भेजी थीं।

इसके अलावा गठबंधन में शामिल महान दल और उनके नेता केशव देव मौर्या को भी नहीं बुलाया गया। केशव देव मौर्या ने मीडिया में कहा कि उनकी पार्टी को नहीं बुलाने से उनमें कोई नाराजगी नहीं है। उनकी पार्टी का कोई प्रत्याशी जीत नहीं सका है। उन्होंने कहा कि उनका समाजवादी पार्टी नेता अखिलेश यादव पर पूरा भरोसा है।

ओपी राजभर ने बताया कि बैठक में 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर बातचीत हुई। साथ ही जिन सीटों पर मामूली वोटों से हार हुई, वहां के बारे में बातचीत हुई। इसकी समीक्षा की गई कि ऐसा क्यों हुआ। उन्होंने बताया कि बहुत जल्द ही एक बड़ी मीटिंग गठबंधन में शामिल सभी दलों की होगी।