UP Nikay Chunav 2023: यूपी निकाय चुनाव में बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है, लेकिन इस चुनाव अभियान के दौरान कुछ तस्वीरें ऐसी भी सामने आ रही हैं, जिन्होंने लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचा है। उन्हीं तस्वीरों में से एक तस्वीर यूपी बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और गाजियाबाद बीजेपी मेयर उम्मीदवार सुनीता दयाल अग्रवाल की सामने आई है। जिसमें भूपेंद्र चौधरी गाजियाबाद बीजेपी मेयर उम्मीदवार सुनीता दयाल अग्रवाल के पैर छूते हुए नजर आ रहे हैं।

गाजियाबाद बीजेपी मेयर उम्मीदवार सुनीता दयाल अग्रवाल ने इस वीडियो को खुद अपने ट्वीटर हैंडल पर शेयर करते हुए लिखा, ‘एक साधारण सी कार्यकर्ता को इतना बड़ा सम्मान मिलना, किसी सपने से कम नहीं है। आदरणीय प्रदेश अध्यक्ष श्री भूपेंद्र चौधरी जी ने अपने बड़प्पन से मेरी तपस्या को चरितार्थ किया है, उसके लिए मैं सदैव उनकी आभारी रहूंगी। यह क्षण मेरे लिए बेहद भावुक और कृतज्ञ बनाने वाला है।’

हाल ही में एक टीवी इंटरव्यू में गाजियाबाद मेयर प्रत्याशी सुनीता दयाल ने कहा, ‘इस रग में आरएसएस का खून है, इस रग में कमल जीता है। मैं इस बात को मानती हूं कि राजनीतिक क्षेत्र में प्रतिस्पर्ध है। उन्होंने कहा कि हिंदू रीति रही है कि हम मस्जिद के सामने से जाते हैं तो हाथ जोड़कर सजदा करते हैं, यह हमारे हिंदू धर्म में सिखाया गया है। हम किसी भी धर्म का अपमान नहीं करते।

गाजियाबाद नगर निगम में भी भाजपा ने अपनी मौजूदा महापौर आशा शर्मा की बजाय पार्टी की प्रदेश उपाध्यक्ष सुनीता दयाल को प्रत्याशी बनाकर उन पर भरोसा जताया है। सुनीता वैश्य समाज से ताल्लुक रखती हैं।

शुक्रवार को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी गाजियाबाद मेयर प्रत्याशी सुनीता दयाल के चुनाव कार्यालय का उद्घाटन किया था। इस दौरान उन्हें भी टिकट वितरण से नाराज कार्यकर्ताओं और नेताओं की नाराजगी झेलनी पड़ी थी। कई नेताओं ने आरोप लगाया कि वॉर्ड के टिकट वितरण में जमकर गड़बड़ी और भ्रष्टाचार हुआ है। नेताओं के रिश्तेदारों को टिकट दिए गए, जबकि कई साल से पार्टी को मजबूत करने में जुटे कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की गई थी। दूसरी तरफ प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने बताया कि उन्हें भी कई बार टिकट नहीं मिला।

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने नाराज कार्यकर्ताओं को भरोसा दिया कि पार्टी में उनका मान सम्मान और प्रभाव किसी भी सूरत में कम नहीं होने देंगे। बेशक कुछ लोग मजबूत दावेदार थे, लेकिन पार्टी के निर्णय स्वीकार करना चाहिए। एक टिकट कटने से किसी का राजनीतिक अस्तित्व खत्म नहीं होता, भविष्य में समर्पित कार्यकर्ता का पूरा ध्यान रखा जाएगा।

भूपेंद्र चौधरी ने स्वीकार किया कि कुछ लोग मजबूत दावेदार होते हुए भी छूट जाते हैं। उन्होंने अपना उदाहरण देते हुए कहा कि वह दो बार चुनाव हारे, कई बार पार्टी से टिकट भी नहीं मिला, लेकिन वह पार्टी के लिए कार्य करते रहे। चुनाव हारने के बावजूद पांच साल से अधिक समय तक तक प्रदेश सरकार में कैबिनेट मिनिस्टर बनाए गए। कई अन्य पदों रहने के बाद अब प्रदेशाध्यक्ष हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि केवल चुनाव लड़ने से ही कोई पार्टी में बड़ा नेता नही होता, बल्कि संगठन के प्रति जिम्मेदारी से कार्य करने पर ही पार्टी नेतृत्व उन्हें मौका देता है।