बीजेपी का अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन बनेगा, इसका निर्णय अभी तक नहीं हो पाया है। हालांकि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए राज्यों में पार्टी के संगठन के चुनाव जरूरी हैं। बीजेपी ने 22 राज्यों में चुनाव को संपन्न करा लिया है और वहां के नए अध्यक्ष का ऐलान भी हो चुका है। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए 19 राज्यों में चुनाव होने जरूरी हैं और ये हो चुका है। हालांकि देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में कौन बीजेपी का अध्यक्ष होगा, इसको लेकर अभी तक चुनाव नहीं हो पाया है। माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में अध्यक्ष का चुनाव होने के बाद ही पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होगा। बड़ा सवाल यह है कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी किसे अपना अध्यक्ष बनाएगी?

किस जाति पर रहेगा फोकस?

वैसे तो अध्यक्ष पद के कई दावेदार सामने आ रहे हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश में मुख्य रूप से बीजेपी का फोकस ओबीसी और स्वर्ण जाति पर हो सकता है। इन जातियों से भी कई बड़े नेताओं के नाम अध्यक्ष पद की रेस में शामिल हैं। अब अगर हम पिछले 11 साल के इतिहास पर नजर डालें तो उत्तर प्रदेश में बीजेपी के कुल पांच अध्यक्ष चुने गए हैं।

2014 से क्या रहा है ट्रेंड?

2014 में जब उत्तर प्रदेश में बीजेपी को लोकसभा चुनाव में प्रचंड जीत मिली तब पार्टी के अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेई थे, जो ब्राह्मण समाज से आते हैं। वहीं 2017 के विधानसभा चुनाव में जब बीजेपी ने 300 से अधिक सीटें जीती तब पार्टी के अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य थे, जो ओबीसी समाज से आते हैं। वहीं 2019 में बीजेपी को लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन के बावजूद बड़ी जीत मिली। इस दौरान पार्टी के अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडे थे, जो ब्राह्मण समाज से आते हैं। वहीं 2022 के विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी को उत्तर प्रदेश में अच्छी जीत मिली और इस दौरान पार्टी के ओबीसी नेता स्वतंत्र देव सिंह प्रदेश अध्यक्ष थे। 2022 विधानसभा चुनाव के बाद पार्टी ने जाटों को साधने के लिए चौधरी भूपेंद्र सिंह को अध्यक्ष बनाया। उनके नेतृत्व में बड़ा चुनाव 2024 का लोकसभा हुआ जिसमें पार्टी को निराशा हाथ लगी।

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उत्तर प्रदेश में 2027 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, तब तक योगी सरकार को 10 साल पूरे हो जाएंगे। ऐसे में पार्टी सभी समीकरण को ध्यान में रखकर प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव करना चाहती है। वैसे तो प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए कई नाम चल रहे हैं लेकिन तीन नाम सबसे अधिक चर्चा में है।

हरीश द्विवेदी

बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद हरीश द्विवेदी का नाम प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए चल रहा है। हरीश द्विवेदी उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले से 2014 और 2019 का लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं। 2024 में भी उन्हें पार्टी ने टिकट दिया था, हालांकि चुनाव हार गए थे। हरीश द्विवेदी ब्राह्मण नेता के तौर पर जाने जाते हैं और संगठन में उनकी गहरी पैठ है। आरएसएस भी उनके नाम पर सहमत हो जाएगा। इसके अलावा हरीश द्विवेदी, पीएम मोदी और अमित शाह के करीबी बताए जाते हैं। वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से भी उनकी अच्छी बनती है।

ऐसे में अगर भाजपा किसी स्वर्ण नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाती है तो हरीश द्विवेदी सबसे पहले दावेदार हो सकते हैं। हरीश द्विवेदी को प्रदेश अध्यक्ष बनाने से ब्राह्मणों की कथित नाराजगी की बात जो सामने आती है, उसको भी साधा जा सकता है। हरीश भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। वर्तमान में वह बीजेपी असम के प्रभारी भी हैं। वह पूर्व में पार्टी राष्ट्रीय मंत्री और बिहार के सह प्रभारी भी रह चुके हैं।

बीएल वर्मा

प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए बीएल वर्मा का भी नाम चल रहा है। बीएल वर्मा अभी मोदी सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री हैं। वह बीजेपी से शुरू से जुड़े रहे हैं। बीएल वर्मा उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और दिवंगत नेता कल्याण सिंह के करीबी माने जाते हैं। बीच में जब कल्याण सिंह ने बीजेपी से निकलकर अलग पार्टी बनाई थी, तब बीएल वर्मा भी उनके साथ थे। हालांकि 2013 में बीएल वर्मा ने फिर से बीजेपी ज्वाइन कर ली थी। उसके बाद पार्टी ने बीएल वर्मा को संगठन में अलग-अलग दायित्व को सौंपा और उन्होंने बखूबी उसको निभाया।

2020 में बीएल वर्मा को भाजपा ने राज्यसभा भेजा और 2021 में उन्हें मोदी मंत्रिमंडल में शामिल किया गया। वहीं 2024 में जब तीसरी बार मोदी सरकार बनी, तब भी बीएल वर्मा को मंत्री बनाया गया। बीएल वर्मा ओबीसी जाति से आते हैं। वह लोध जाति से आते हैं और बीजेपी का फोकस ओबीसी वोटरों पर है। ऐसे में बीएल वर्मा भी प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए पार्टी की नीतियों के अनुसार फिट बैठ सकते हैं।

केशव प्रसाद मौर्य

वहीं प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए तीसरा नाम चल रहा है केशव प्रसाद मौर्य का, जो उत्तर प्रदेश में उपमुख्यमंत्री हैं। केशव प्रसाद मौर्य 2017 के विधानसभा के चुनाव के दौरान भी प्रदेश अध्यक्ष थे। उनका कार्यकाल करीब 1 साल का ही रहा, लेकिन काफी सफल कार्यकाल रहा। केशव प्रसाद मौर्य केंद्रीय नेतृत्व के भी करीबी माने जाते हैं और उनकी जाति भी संगठन में फिट बैठती है। वह मौर्य जाति से आते हैं जो ओबीसी के अंतर्गत आती है। मौर्य जाति के लोग पूर्वांचल और सेंट्रल यूपी में काफी अधिक संख्या में हैं।

केशव प्रसाद मौर्य कई बार बयान भी दे चुके हैं कि संगठन सरकार से बड़ा होता है। हालांकि इस पर काफी चर्चा भी हुई थी। ऐसी भी खबरें आती है कि उपमुख्यमंत्री पद से केशव प्रसाद मौर्य खुश नहीं हैं। हालांकि वह समय-समय पर ऐसी खबरों का खंडन करते रहे हैं। लेकिन 2027 विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बना सकती है और उनकी कथित नाराजगी भी दूर कर सकती है। इसके अलावा जातीय समीकरण में भी केशव मौर्य फिट बैठते हैं। केशव मौर्य को कार्यकर्ताओं के बीच रहने वाला नेता भी माना जाता है।