UP ATS: उत्तर प्रदेश आतंकवाद निरोधक दस्ते (ATS) ने रोहिंग्या, बांग्लादेशी और नेपाली लोगों सहित विदेशी नागरिकों के लिए आधार कार्ड बनाने में शामिल एक अंतरराज्यीय गिरोह का भंडाफोड़ किया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को इसकी जानकारी दी।
एडिशनल पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था और एसटीएफ) अमिताभ यश ने बताया कि उत्तर प्रदेश में विभिन्न स्थानों से की गई कार्रवाई में गिरोह के 10 सदस्यों को गिरफ्तार किया गया। शुक्रवार देर शाम उत्तर प्रदेश पुलिस ने बताया कि गिरोह के दो और सदस्यों को सहारनपुर से गिरफ्तार किया गया है।
अमिताभ यश ने बताया कि यह गिरोह दस्तावेजों को तैयार करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक और मैनुअल दोनों तरीकों का इस्तेमाल करता था और कम से कम नौ राज्यों में सक्रिय था। अधिकारी ने बताया कि पिछले कुछ महीनों से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर, तकनीकी और भौतिक निगरानी के साथ, यह पता चला कि यह गिरोह उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, दिल्ली-एनसीआर, राजस्थान, महाराष्ट्र, हरियाणा और उत्तराखंड में सक्रिय था।
अधिकारी के अनुसार, गिरोह के सदस्य आधार पंजीकरण प्रक्रिया की जानकारी हासिल करने के लिए कानूनी रूप से पंजीकृत जन सेवा केंद्रों पर अस्थायी नौकरियां करते थे। बाद में, वे अवैध रूप से अधिकृत उपयोगकर्ताओं के आईडी और पासवर्ड, अंगूठे के निशान और आंखों की पुतलियों की स्कैन तस्वीरें भी हासिल कर लेते थे। इनका इस्तेमाल कर गिरोह ने विभिन्न राज्यों में फर्जी आधार कार्ड बनाए गए।
बिचौलियों ने उन्हें ऐसे लोगों से जोड़ा जिनके पास कोई भारतीय दस्तावेज़ नहीं थे और जिन्हें अपनी जन्मतिथि या आधिकारिक रिकॉर्ड में बदलाव की ज़रूरत थी। अधिकारी ने बताया कि ऐसे लोगों के लिए, आधार कार्ड जारी करने या उनमें संशोधन करने के लिए फर्जी जन्म प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र और हलफनामे तैयार किए गए।
एडीजी ने कहा कि, विशेष रूप से, 2023 के बाद 18 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के लिए सीधे आधार कार्ड जारी करने पर प्रतिबंध के बाद, गिरोह ने व्यक्तियों को 18 वर्ष से कम आयु दिखाते हुए जाली प्रमाण पत्र जारी करके नियम को दरकिनार कर दिया।
यश ने कहा कि प्रत्येक फर्जी आधार कार्ड के लिए गिरोह 2,000 रुपये से 40,000 रुपये तक वसूलता था। बाद में इन आधार कार्डों का इस्तेमाल लोगों द्वारा पासपोर्ट और अन्य जाली भारतीय दस्तावेज प्राप्त करने और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए किया जाता था।
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पुलिस ने बताया कि गिरोह के सदस्यों के पास से बड़ी संख्या में इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, फिंगरप्रिंट स्कैनर, आईरिस स्कैन उपकरण, डमी यूजर प्रोफाइल, लेखपालों और अन्य सरकारी अधिकारियों के नकली स्टाम्प, साथ ही पहले से तैयार आधार कार्ड और दस्तावेज जब्त किए गए हैं। इस ऑपरेशन के पीछे का मास्टरमाइंड पकड़े गए लोगों” में शामिल है।
एडीजी ने बताया कि लखनऊ के गोमती नगर स्थित एटीएस पुलिस थाने में मामला दर्ज कर लिया गया है और उनके सहयोगियों तथा कार्यप्रणाली के बारे में अधिक जानकारी जुटाने के लिए पूछताछ जारी है। पुलिस ने बताया कि एफआईआर भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 152 (भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाला कृत्य) के अलावा जालसाजी और धोखाधड़ी जैसे अन्य आरोपों के तहत दर्ज की गई है। वहीं, योगी के कैबिनेट के मंत्री ने अब्बास अंसारी की विधायकी बहाल होने पर खुश जाहिर की है। पढ़ें…पूरी खबर।