राजनीतिक अप्रत्याशा का हमेशा पर्याय रहे फूलपुर इलाके में जीत का ध्वज फैराना योगी आदित्यनाथ के लिए आसान नहीं होगा। सियासी गणित के हिसाब से ऐसा कहना इसलिए आश्यक है क्योंकि कई बार फूलपुुर के मतदाताओं ने गंगा पार के इस इलाके में राजनीति के बड़े-बड़े धुरंधरों को सबक सिखाया है। राजनीतिक तौर पर बेहद जागरूक फूलपुर विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं ने कुछ महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को खारिज कर दिया था। इसकी वजह से भाजपा फूलपुर लोकसभा की फूलपुर विधानसभा सीट पर 18 हजार मतों के अंतर से पीछे रह गई थी।
फूलपुर का जातीय समीकरण
यदि फूलपुर विधानसभा सीट की बात की जाए तो यहां कुल मतदाता चार लाख सात हजार हैं। इनमें 45 हजार दलित, 70 हजार यादव, 50 हजार ब्राह्मण, 40 हजार मुस्लिम, 30 हजार कुर्मी, 25 हजार निषाद, 20 हजार राजभर, 15 हजार मौर्य, 10 हजार क्षत्रिय और 20 हजार पिछड़ी जातियों के मतदाता हैं। 10 नवंबर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने फूलपुर में एक चुनावी सभा कर एक नारा दिया, जहां दिखे सपाई, वहां बिटिया घबराई। उनके इस नारे ने देश भर में खासी सुर्खियां भी बटोरीं।
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फूलपुर विधानसभा भारतीय जनता पार्टी के लिए आखिर इतनी महत्त्वपूर्ण क्यों है? इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस क्षेत्र ने अब तक भाजपा की उम्मीदों के मुताबिक प्रदर्शन नहीं किया है। योगी आदित्यनाथ के उप कप्तान केशव प्रसाद मौर्य ने वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट को रेकार्ड तीन लाख से अधिक मतों के अंतर से जीत कर पहली बार फूलपुर में भाजपा का परचम लहराया था। हालांकि 2017 के विधानसभा चुनाव में उपमुख्यमंत्री बनने के बाद उन्हें इस सीट से त्यागपत्र देना पड़ा और उसके बाद हुए उपचुनाव में भारतीय जनता पाटी को यहां समाजवादी पार्टी के हाथों करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा।
2022 में मामूली अंतर से हारी थी सपा
ये तो हुई लोकसभा उपचुनाव की बात। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में फूलपुर की विधानसभा सीट पर प्रवीण पटेल ने भाजपा के टिकट पर 2700 मतों के अंतर से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी मुस्तफा सिद्दीकी से जीत दर्ज की थी। उन्हेंं लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने फूलपुर लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया। जिसमें पौने पांच हजार मतों के बहुत कम अंतर से उन्होंने विजय हासिल की। इस वजह से फूलपुर की विधानसभा सीट पर उपचुनाव हो रहा है।
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फूलपुर से इस बार इंडिया गठबंधन ने मुस्तफा सिद्दीकी को चुनाव मैदान में उतारा है। मुस्तफा सिद्दीकी को उपचुनाव के मैदान में उतारने के पीछे समाजवादी पार्टी की सोच यह है कि लोकसभा चुनाव में फूलपुर की विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी को 18 हजार मतों के अंतर से सपा के समक्ष पराजय का सामना करना पड़ा था। इसी वजह से समाजवादी पार्टी ने मुस्तफा सिद्दीकी पर दांव लगाया है।
फूलपुर के उपचुनाव की बाबत भारतीय जनता पार्टी के फूलपुर प्रभारी रमेश दुबे कहते हैं, फूलपुर उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी मजबूत स्थिति में है। गांव-गांव में भाजपा के पक्ष में मतदाता दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के 10 नवंबर को फूलपुर में चुनावी सभा करने से इलाके में सकारात्मक माहौल तेजी से बना है, जिसका लाभ भाजपा को होना तय है। वहीं सपा के वरिष्ठ नेता राजेंद्र चौधरी कहते हैं, फूलपुर की जनता इस बार भाजपा को सबक सिखाने के लिए उतावली है। इस बार के उपचुनाव में समाजवादी पार्टी पहले दिन से बढ़त बनाए हुए है।