86 वर्षीय आलम बादी और 42 वर्षीय हर्षवर्धन बाजपेयी के बीच बहुत कम समानता है। उत्तर प्रदेश विधानसभा में प्रतिद्वंद्वी दलों के सदस्य – बादी समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं और बाजपेयी दूसरी बार विधायक बने हैं – दोनों का अक्सर गलियारा में आमना-सामना होता है। हाल ही में दोनों विधायक, जो सदन में इंजीनियर-विधायकों के एक समूह का हिस्सा थे, चर्चा करने के लिए बैठ गए कि वे अपने निर्वाचन क्षेत्रों की मदद के लिए अपनी पेशेवर डिग्री का उपयोग कैसे कर सकते हैं।
आलम के पास इंजीनियरिंग में डिप्लोमा है, जो लगभग पांच दशक पुराना है, बाजपेयी ने 2007 में यूके के शेफील्ड यूनिवर्सिटी से बीटेक की डिग्री हासिल की है। उत्तर प्रदेश की राजनीति की ध्रुवीकृत और पक्षपातपूर्ण दुनिया के लिए पहली बार विधानसभा अध्यक्ष ने विधायकों का उनकी पेशेवर डिग्री, लिंग और विधायी कार्यकाल के अनुसार समूह बनाने की एक कवायद शुरू की है। इससे उन्हें पार्टी व्हिप और विचारधारा की बाध्यता से अलग हटकर अपने विचारों और अनुभवों के आदान-प्रदान में मदद मिल रही है।
विधायकों के साथ “बेहतर तालमेल विकसित करने” और 403 सदस्यीय मजबूत सदन के “बेहतर कामकाज” के लिए स्पीकर ने लगभग डेढ़ महीने पहले एक मंच शुरू किया था, जहां विधायक पार्टी लाइन से अलग हटकर साझा चिंताओं को समझते और समाधान निकालते हैं।
एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, यूपी विधानसभा में 50 फीसदी से अधिक विधायकों की आपराधिक पृष्ठभूमि है। वहां इस तरह का अभ्यास शुरू किया गया है। विधायकों के बारे में कुछ नए तथ्य सामने आए हैं। 18 वीं विधानसभा में 18 डॉक्टर, 16 इंजीनियर, 15 प्रबंधन डिग्री, 70 से अधिक कानून की डिग्री, 47 महिलाएं हैं। इसके अलावा 126 ऐसे हैं जो पहली बार विधायक बने हैं, और लगभग 50 विधायक ऐसे हैं जो 40 से कम उम्र के हैं।
अध्यक्ष महाना ने कहा, “लोग विधायकों को अशिक्षित और उपद्रवी समझते हैं। तीन दशकों से अधिक समय से यूपी विधानसभा के सदस्य के रूप में, मैं जानता हूं कि यह सच नहीं है। मैं सदस्यों को उनके नेतृत्व गुणों के साथ-साथ अपने पेशेवर कौशल का उपयोग करने के लिए प्रेरित करके उस धारणा को बदलने की उम्मीद करता हूं।”
उन्होंने कहा, “मैंने विभिन्न समूहों को अपने निर्वाचन क्षेत्रों की बेहतरी के लिए अपने पेशेवर कौशल का उपयोग करने के लिए कहा है। उदाहरण के लिए, मेडिकल डिग्री वाले विधायक अपने निर्वाचन क्षेत्रों और सरकार में मुख्य चिकित्सा अधिकारियों के बीच एक कड़ी के रूप में काम कर सकते हैं और प्रस्तावों को आगे बढ़ा सकते हैं।”
स्पीकर के कार्यालय ने विधायकों का समूह बनाया, उन्होंने महसूस किया कि फर्रुखाबाद के कायमगंज से अपना दल (सोनेलाल) की विधायक डॉ. सुरभि जैसे लोगों को कई ग्रुप में रखना होगा। साथ ही उन्हें कई बैठकों में भाग लेना होगा। सुरभि ट्रेनिंग से डेंटिस्ट हैं और उन्होंने आईआईएम कलकत्ता से डिग्री भी हासिल की है। इसके अलावा, एक महिला विधायक के रूप में उन्हें महिला विधायकों के समूह में भी होना होगा।
अध्यक्ष के साथ इस तरह के एक सत्र में, महिला विधायकों ने पार्टी लाइनों से हटकर बताया कि आमतौर पर कैसे उनके पुरुष सहयोगी एजेंडा तय किया, जबकि उनके पास अपने मुद्दों को उठाने का पर्याप्त अवसर नहीं रहता है। इस सत्र के बाद अध्यक्ष ने इस मुद्दे को सदन की कार्य मंत्रणा समिति के पास ले जाने का वादा किया और कहा कि इस महीने के अंत में होने वाले राज्य विधानसभा के आगामी सत्र में महिला विधायकों के लिए एक पूरा दिन अलग रखा जा सकता है।