भूमि अधिग्रहण पर केंद्रीय कानून को अब केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के लिए भी विस्तारित किया जा रहा है। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने करीब 49 साल पुराने साल 1971 के उस सर्कुलर को वापस ले लिया है जिसके तहत सेना, बीएसएफ, सीआरपीएफ और अन्य संगठनों को राज्य के गृह विभाग से एनओसी की जरुरत होती थी। इस तरह के अधिग्रहण को अब भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्वास एक्ट, 2013 में उचित मुआवजा और पारदर्शिता के अधिकार के तहत कवर किया जाएगा।
इस संबंध में 24 जुलाई को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के राजस्व विभाग ने एक आदेश जारी किया। इसके अलावा हर जिले में भूमि अधिग्रहण के लिए कलेक्टरों को उचित मुआवजा अधिनियम के तहत नामित किया गया है और सक्षम प्राधिकरण भूमि अधिग्रहण (CALA) राष्ट्रीय राजमार्ग एक्ट, 1956 के तहत भूमि अधिग्रहण के मामलों को ‘इन दोनों अधिनियमों के प्रावधानों और उसके बाद बनाए गए नियमों के अनुसार सख्ती से प्रोसेस करने के लिए कहा गया है।’
प्रशासन ने यह निर्णय ऐसे समय में लिया है जब इससे कुछ दिन पहले भवन संचालन नियंत्रण एक्ट, 1988 और जम्मू-कश्मीर विकास एक्ट, 1970 में संशोधन की मंजूरी दी गई थी। यह सशस्त्र बलों को ‘रणनीतिक क्षेत्रों’ में निर्माण गतिविधियों को करने के लिए विशेष छूट देता है।
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भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्वास अधिनियम, 2013 केंद्रीय अर्धसैनिक बलों या राष्ट्रीय सुरक्षा या भारत या राज्य पुलिस की सुरक्षा, लोगों की सुरक्षा सहित किसी भी कार्य के लिए सेना, नौसेना, सैन्य, वायु सेना और संघ के सशस्त्र बलों से संबंधित रणनीतिक उद्देश्यों के लिए भूमि अधिग्रहण का प्रावधान करता है। ‘रणनीतिक क्षेत्रों’ में निर्माण की अनुमति देने के निर्णय को 17 जुलाई को उपराज्यपाल जीसी मुर्मू के नेतृत्व वाली प्रशासनिक परिषद ने मंजूरी दे दी थी।
इस कदम की आलोचना की गई तो प्रशासन ने स्पष्ट किया कि ये बदलाव रणनीतिक क्षेत्रों में निर्माण को विनियमित करने के लिए विशेष व्यवस्था देते हैं जो सशस्त्र बलों द्वारा उनके प्रत्यक्ष परिचालन क्षेत्र में आवश्यकताओं के लिए आवश्यक हैं।