केन्द्रीय मंत्री अनंत कुमार हेगड़े अक्सर अपने बयानों से सुर्खियों में रहते हैं। ऐसे में इस बार अनंत कुमार ने सबरीमाला को लेकर एक बयान दिया है। जिसमें उन्होंने सबरीमाला मामले पर केरल सरकार को घेरते हुए इसे हिंदुओं का दिनदहाड़े दुष्कर्म बताया है। वहीं दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी के ही नेता वी मुरलीधरन ने आरोप लगाते हुए कहा कि महिलाओं का मंदिर में प्रवेश पूरी तरह से सुनियोजित था जिसके तहत दो माओवादी महिलाओं को पुलिस की देख रेख में मंदिर के अंदर ले जाया गया।

केन्द्रीय मंत्री अनंत कुमार हेगड़े का क्या है कहना: दरअसल एक इंटरव्यू में केन्द्रीय मंत्री अनंत कुमार हेगड़े ने केरल सरकार पर हमला करते हुए कहा कि केरल सरकार सबरीमाला मामले में पूरी तरह से नाकाम रही है। एक तरह से ये हिंदुओं का दिनदहाड़े दुष्कर्म है। गौरतलब है कि ये पहली बार नहीं है जब अनंत ने कोई विवादित बयान दिया हो।

वी मुरलीधरन का क्या है कहना: महिलाओं की सबरीमाला मंदिर में एंट्री पर भाजपा नेता वी मुरलीधरन ने केरल सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि ये पूरी तरह से सुनियोजित था जिसके तहत माओवादी महिलाओं को पुलिस की देख रेख में मंदिर के अदंर ले जाया गया। मुरलीधरन ने कहा कि बुधवार को दो महिलाएं जो मंदिर में गई थीं वो श्रद्धालु नहीं बल्कि माओवादी थीं। सीपीएम ने कुछ चुने हुए पुलिसवालों की मदद से महिलाओं को मंदिर ले जाने के लिए एक सुनियोजित प्लान बनाया। ये एक साजिश है जो माओवादियों ने केरल सरकार और सीपीएम के साथ तैयार की है।

सुबह किया था मंदिर में प्रवेश: जानकारी के मुताबिक, दोनों महिलाओं ने मंगलवार आधी रात में मंदिर की चढ़ाई शुरू की थी और वो बुधवार करीब सुबह 3:45 बजे मंदिर में पहुंच गईं। इसके बाद उन्होंने भगवान अय्यपा के दर्शन किए और लौट गईं। महिलाओं का नाम बिंदू और कनकदुर्गा बताया जा रहा है। एएनआई ने इसका एक वीडियो भी जारी किया है। जिसके मुताबिक महिलाओं ने मंदिर में प्रवेश किया।

24 दिसंबर- 11 महिलाएं: गौरतलब है कि इससे पहले 24 दिसंबर के आस पास भी सबरीमाला मंदिर में भगवान अयप्पा के दर्शन के लिए तमिलनाडु की 11 महिलाओं के एक समूह को प्रदर्शनकारियों के हिंसक होने की वजह से यात्रा छोड़नी पड़ी थी।

सुप्रीम कोर्ट दे चुका है फैसला: बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 28 सितंबर को हर आयु वर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति देने का फैसला दिया था। जिसके बाद से ही सबरीमाला में लगातार इस फैसले का विरोध किया जा रहा है और प्रदर्शन भी जारी है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि ये फैसला धार्मिक परंपरा के खिलाफ है।