महाराष्ट्र की राजनीति में आज दिन भर उद्धव बनाम राणे (Udhav vs Rane) चलते रहा। अपने विवादित बयान के कारण जहां केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता नारायण राणे (Narayan Rane) को हवालात की हवा खानी पड़ी, वहीं इस कार्रवाई के लिए बीजेपी नेता, उद्धव ठाकरे (Udhav Thakre) की सरकार को कठघरे में खड़ा करते दिखे।
बीजेपी-शिवसेना के आरोप-प्रत्यारोप के बीच कुछ ऐसा भी दिखा जो अचंभित करने वाला था। पुणे में शिवसेना कार्यकर्ताओं ने भाजपा कार्यालय में मुर्गों को छोड़ दिया, तो वहीं भाजपा ने शिवसेना कार्यालय के बाहर एक बिल्ली को दूध पिलाकर पलटवार किया।
केंद्रीय मंत्री और भाजपा के राज्यसभा सदस्य नारायण राणे (Narayan Rane) ने आशीर्वाद यात्रा के दौरान कहा- ‘‘यह शर्मनाक है कि मुख्यमंत्री को यह नहीं पता कि आजादी को कितने साल हो गए हैं। भाषण के दौरान वह पीछे मुड़कर इस बारे में पूछते नजर आए थे। अगर मैं वहां होता तो उन्हें एक जोरदार थप्पड़ मारता।’’ राणे अपनी इस टिप्पणी के बाद विवादों में घिर गए और शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने कई शहरों में विरोध प्रदर्शन किया है।
इसी मामले में राणे के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था, जिसके बाद उन्हें आज रत्नागिरी से गिरफ्तार कर लिया गया। पुणे में मंगलवार की सुबह, स्थानीय शिवसेना इकाई ने शहर प्रमुख संजय मोरे के नेतृत्व में दक्कन क्षेत्र में राणे के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान नारे लगाए गए और नारायण राणे को ‘कोम्बडी चोर’ (चिकन चोर) कहते हुए तख्तियां लगाईं। इस दौरान अपने साथ मुर्गे भी ले आए थे। बाद में पार्टी कार्यकर्ताओं ने एक मॉल पर पथराव किया जिसमें राणे परिवार की हिस्सेदारी बताई जाती है। इसके बाद शिवसेना के पार्टी कार्यकर्ता जेएम रोड स्थित शहर भाजपा कार्यालय के बरामदे में घुसे और मुर्गों को छोड़ दिया।
पलटवार में भाजपा ने दक्कन में शिवसेना कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। यहीं मुर्गों छोड़ने के जवाब में बीजेपी कार्यकर्ताओं ने एक बिल्ली को दूध पिलाया। उन्होंने शिवसेना और उद्धव ठाकरे के खिलाफ नारे भी लगाए।
बता दें कि दशकों पहले, नारायण राणे (Narayan Rane) मुंबई के चेंबूर में पोल्ट्री की दुकान चलाते थे, जब वह बाल ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना का हिस्सा थे। पहले राणे शिवसेना में ही थे, शिवसेना से ही उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री की कुर्सी भी संभाली थी।
राजनीति में नारायण राणे बाला साहेब ठाकरे को अपना गुरु मानते हैं। नारायण राणे ने तब शिवसेना छोड़ कांग्रेस का दामन थाम लिया था, जब उद्धव ठाकरे (Udhav Thakre) बाला साहेब के उत्तराधिकारी के रूप में स्थापित हो रहे थे।