ओमप्रकाश ठाकुर
जैसे-जैसे हिमाचल प्रदेश विधानसभा के चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं, वैसे-वैसे प्रदेश भाजपा का संकट लगातार बढ़ता जा रहा है। खासकर पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल और उनके केंद्रीय मंत्री व पुत्र अनुराग ठाकुर की जिस तरह से आलाकमान की ओर से नजरअंदाजी की जा रही है, उससे उनके समर्थक आहत होते जा रहे हैं। प्रदेश में मौजूदा समय में धूमल एक मात्र एक ऐसे नेता जिनका हर विधानसभा क्षेत्र में कम-ज्यादा जनाधार है। ऐसे में धूमल परिवार की सार्वजनिक तौर पर नजरअंदाजी भाजपा के लिए खतरे से कम नहीं है।
केंद्र सरकार के आठ साल पूरे होने पर 31 मई को राजधानी के रिज मैदान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहुंचे थे तो अनुराग ठाकुर का तो नाम तक नहीं लिया गया था। तब अधिकांश लोगों ने सोचा था कि कोई चूक हो गई, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी धर्मशाला में 16-17 जून को मुख्य सचिवों के अधिवेशन में पहुंचे तो इस मौके पर उन्होंने प्रधानमंत्री ने एक रोड शो भी किया। इस रोड शो से भी अनुराग ठाकुर गायब रहे।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर व भाजपा अध्यक्ष सुरेश कश्यप ही प्रधानमंत्री के साथ जीप में रहे। उसके बाद तो पूरी भाजपा में साफ संदेश चला गया कि भाजपा आलाकमान अब धूमल परिवार को हाशिए पर रखने की दिशा में बढ़ रहा है। इससे पहले धूमल के करीबियों को 2017 में हराने वाले दो निर्दलीय विधायकों को भाजपा में शामिल कर लिया गया।
इनमें देहरा विधानसभा हलके से होशियार सिंह व जोगेंद्र नगर हलके से प्रकाश राणा शामिल थे। होशियार सिंह ने भाजपा में शामिल होने से पहले ही जयराम मंत्रिमंडल में धूमल खेमे से ग्रमीण विकास मंत्री वीरेंद्र कंवर को भला बुरा कहा था। पार्टी नेताओं के मुताबिक इन दोनों निर्दलीय विधायकों को भाजपा में शामिल करने से पहले धूमल से नहीं पूछा गया। यह दीगर है कि इन दोनों निर्दलियों की दल बदल कानून के तहत विधानसभा सदस्यता सवालों में है।
उधर, सोमवार को हमीरपुर में त्रिदेव सम्मेलन किया गया। इसमें भी केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान शामिल हुए । अनुराग ठाकुर तो थे ही। लेकिन यहां भी धूमल व अनुराग के बजाय मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और भाजपा अध्यक्ष सुरेश कश्यप को ही तरजीह दी गई। धूमल तो एक तरह से किनारे ही रहे। यह पार्टी का कार्यक्रम था। सोमवार को ही राजधानी में श्री गुरु तेग बहादुर जी के 400वें प्रकाश पर्व का समारोह मनाया गया था।
इसमें धूमल को न्योता दिया गया था। गुरुद्वारा साहिब श्री गुरु सिंह सभा चाहती थी कि धूमल इस समारोह में शिरकत करे। लेकिन धूमल ने कहा कि सोमवार को त्रिदेव सम्मेलन है व उन्हीं के जिले हमीरपुर में हो रहा है। ऐसे में आना मुमकिन नहीं होगा। लेकिन जिस तरह से त्रिदेव सम्मेलन की तस्वीरें बाहर आईं, उसे देखकर उनके समर्थक आहत हो गए। उनके समर्थकों का कहना था कि इससे तो अच्छा था वे श्री गुरु तेग बहादुर जी के 400वें प्रकाश पर्व के समारोह में ही शामिल हो जाते। यहीं नहीं बीते दिनों हमीरपुर में भाजपा कार्यसमिति और कोर समिति की बैठक भी गई थी। वहां पर भी धूमल को उनके कद के हिसाब से तरजीह नहीं मिली।
उधर, अब भाजपा के नेता आलाकमान व पार्टी की राजनीति व रणनीति को समझ नहीं पा रहे हैं। इस तरह के रवैये से पार्टी के कार्यकर्ता निराश भी हैं। इसकी झलक तब सामने आई जब 16 व 17 जून को धर्मशाला में प्रधानमंत्री का रोड था। इसमें भारी भीड़ एकत्रित कराने का आदेश दिया गया था।नेताओं को भीड़ लाने का लक्ष्य दिया गया था। लेकिन बताते हैं कि केवल वन मंत्री राकेया पठानिया और एक दो अन्य नेता ही इस लक्ष्य को पूरा कर पाए थे। पार्टी के नेताओं की माने तो आगामी विधानसभा के चुनावों को लेकर गृह मंत्री अमित शाह ने हिमाचल की कमान भी अपने हाथ में ले ली है।
लेकिन जिस तरह की राजनीति चल रही है उससे मिशन रिपीट का अभियान कैसे सफल होगा, इसे लेकर भाजपा नेता खुद ही असंमजस में हैं।