त्रिपुरा में यह साल में सत्तारूढ़ वाम मोर्चा का अपना राजनीतिक आधार मजबूत करने, बांग्लादेश के लिए बस सेवा शुरू करने और कभी बागियों के उपद्रव से त्रस्त रहे राज्य में कोई भी उग्रवादी गतिविधि नहीं होने देने जैसी उपलब्धियों से भरा रहा। त्रिपुरा आदिवासी क्षेत्र स्वायत्तशासी जिला परिषद (टीटीएएडीसी) के चुनाव में सत्तारूढ़ वामपंथी मोर्चे को भारी जीत हासिल हुई। यह क्षेत्र राज्य का दो तिहाई हिस्सा है और राज्य की 40 लाख आबादी में से एक तिहाई आदिवासी जनसंख्या यहां निवास करती है। तीस सदस्यीय परिषद में दो सीटों पर राज्यपाल राज्य सरकार की सलाह से उम्मीदवार को नामित करते हैं और बाकी 28 सीटों के लिए चुनाव चार मई को हुए। वाम मोर्चा ने सभी 28 सीटों पर जीत दर्ज की। यह वाम मोर्चा के लिए भारी जीत है जिसमें 25 सीट मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, एक-एक सीट पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, आरएसपी और आॅल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक ने जीत दर्ज की।
वामपंथी दलों ने नौ दिसंबर को राज्य में 20 निकाय चुनावों में भी भारी जीत दर्ज की जिसमें 49 सदस्यीय अगरतला नगर निगम का चुनाव भी शामिल है। माकपा नीत वाम मोर्चा को अगरतला नगर निगम के 49 वार्ड में से 45 में जीत हासिल हुई और विपक्षी कांग्रेस को महज चार सीटें मिलीं। साथ ही 20 नगर निकायों की 310 सीटों पर भी चुनाव हुए जिनमें से 291 पर वाम मोर्चा के उम्मीदवारों ने जीत हासिल की और विपक्षी कांग्रेस को 13 सीट व भाजपा को चार सीट हासिल हुईं। शेष दो सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की। राज्य में नगर निकाय चुनावों में पहली बार भाजपा ने जीत दर्ज की। वाम मोर्चा समिति के समन्वयक और माकपा केंद्रीय समिति के सदस्य खगेन दास ने इसे ‘अच्छा प्रशासन व शांति, सौहार्द और विकास के लिए अथक प्रयास का जनादेश’ करार दिया।
त्रिपुरा तीन तरफ से बांग्लादेश से घिरा हुआ राज्य है और इसकी 85 फीसद सीमा उस देश से लगती है। छह जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ढाका यात्रा के दौरान मोदी और शेख हसीना ने कोलकाता-ढाका-अगरतला और ढाका-शिलांग-गुवाहाटी के लिए सीधी बस सेवा की शुरुआत की। शुरुआत में बस का किराया 1800 रुपए तय किया गया जिसमें बांग्लादेश सरकार का यात्रा कर भी शामिल है। टीआरटीसी ने 91 लाख रुपए में 45 सीटों वाली बस खरीदी थी जो अगरतला से ढाका होते हुए कोलकाता जाती है।
बांग्लादेश और भारत ने 100 मेगावाट बिजली बेचने के समझौते पर भी हस्ताक्षर किए जिसे त्रिपुरा के गोमती जिले में स्थित 726 मेगावाट की तापीय विद्युत योजना से आपूर्ति की जानी है। मुख्यमंत्री माणिक सरकार ने कहा-‘हम पड़ोसी देश को बिजली बेचने को इच्छुक हैं क्योंकि वह अपने जलमार्ग का उपयोग हमें मशीनों को अगरतला लाने में उपयोग करने देता है।
चूंकि पूर्वोत्तर की हमारी सड़कें काफी उथल-पुथल भरी हैं और पहाड़ी रास्ते हैं जो मौसम के अनुकूल नहीं हैं इसलिए मशीनों को ढोना काफी कठिन हो जाता है। हमारे आग्रह पर भारत सरकार त्रिपुरा से बांग्लादेश को बिजली बेचने पर सहमत हुई। त्रिपुरा में अब प्रचुर बिजली है।’