राजस्थान में बीते रविवार को कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व द्वारा बुलाई गई विधायक दल की बैठक में भाग न लेने वाले और गहलोत समर्थक विधायक शांति धारीवाल के घर पर बैठक में शामिल होने विधायकों में से अब तीन विधायकों ने यू-टर्न ले लिया है। बता दें कि इन विधायकों ने सामूहिक रूप से इस्तीफा दिया था। वहीं अब तीनों विधायकों ने कहा कि पार्टी आलाकमान का निर्णय सर्वोच्च है।
शांति धारीवाल के घर पर बैठक में शामिल होने वाले विधायकों के खिलाफ ओसियां से विधायक दिव्या मदेरणा ने मोर्चा खोला है। जब कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) की बैठक होने वाली थी, तो दिव्या सीएम गहलोत के घर पर थीं। उनके अलावा पूर्व मंत्री और खेतड़ी से विधायक जितेंद्र सिंह और कोटा जिले के पीपलदा सीट से विधायक रामनारायण मीणा ने भी केंद्रीय नेतृत्व का समर्थन किया है। जितेन्द्र सिंह उन विधायकों में शामिल हैं, जिन्होंने धारीवाल के घर बैठक में हिस्सा लिया था और स्पीकर सीपी जोशी को अपना इस्तीफा सौंप था। लेकिन सोमवार को उन्होंने भी यू-टर्न ले लिया।
गुर्जर समुदाय से ताल्लुक रखने वाले जितेंद्र सिंह ने एक बयान जारी कर कहा, “पार्टी के मामलों में आलाकमान का अंतिम अधिकार है। राजस्थान में हाईकमान जो भी फैसला करता है, वह जिसे भी सीएम के तौर पर प्रोजेक्ट करता है, मैं आलाकमान के साथ हूं। मैं इस इस्तीफे की नीति से सहमत नहीं हूं। मैं आलाकमान का सम्मान करता हूं और उनके फैसले के साथ हूं।”
वहीं सीएलपी की बैठक के लिए रविवार को सीएम के घर पर मौजूद रामनारायण मीना ने कहा, “मैं सीएम के आवास पर सीएलपी की बैठक में गया था। बाद में जब मुझे पता चला कि बैठक स्थगित कर दी गई है, तो मैं कोटा लौट आया। मैं कांग्रेस के साथ हूं और मेरे लिए पार्टी का कोई भी निर्देश सर्वोपरि है। मैं हमेशा एक समर्पित कांग्रेसी कार्यकर्ता रहा हूं।”
कांग्रेस विधायक दिव्या मदेरणा ने कहा, “अभी के घटनाक्रम में गद्दारी तो स्वयं शांति धारीवाल और महेश जोशी ने की है। संसदीय कार्यमंत्री और चीफ व्हिप होकर वो खुद सीएलपी की मीटिंग में नहीं आते। महेश जोशी एक पद और दो पद की बात करने वाले कैबिनेट रैंक के दो पद लेकर बैठे हैं। ऐसे क्या हीरे उनमे जड़े हैं? उन्होंने खुद विधायकों को फोन करके शांति धारीवाल के घर आने के लिए कहा। आज अगर कोई सबसे अधिक पीड़ित है तो वो कांग्रेस कार्यकर्ता हैं और इसके लिए अगर कोई जिम्मेदार है तो वो शांति धारीवाल और महेश जोशी हैं।