विधानसभा सत्र के पहले दिन सोमवार को विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने आरोप लागाया कि उनके सवालों का जान-बूझकर जवाब नहीं दिया जा रहा क्योंकि सरकार की नीयत साफ नहीं है। विधानसभा अध्यक्ष ने इस मामले को विशेषाधिकार समिति को भेज दिया। गुप्ता ने प्रश्नकाल के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से अदालत में पेशी के लिए निजी वकीलों को नियुक्त किए जाने के बारे में सवाल किया था। उन्होंने न्यूनतम मजदूरी में बढ़ोतरी का मुद्दा भी उठाया, जिस पर सरकार की ओर से इसके क्रियान्वयन के लिए एक त्रिपक्षीय समिति बनाने की बात कही गई। दिल्ली विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष चरती लाल गोयल के निधन पर दो मिनट के मौन के साथ शुरू हुए प्रश्नकाल में यूं तो रियो ओलंपिक की पृष्ठभूमि में खेल से जुड़े सवाल ही छाए रहे, लेकिन, नेता विपक्ष का सवाल इससे हटकर दिल्ली सरकार द्वारा निजी वकीलों की नियुक्ति का रहा, जिसके लिखित जवाब में कहा गया, ‘दिल्ली सरकार के विभिन्न विभाग दिल्ली की विभिन्न अदालतों में उनके मामलों की पैरवी के लिए निजी वकीलों को नियुक्त करते हैं।

इस संबंध में सभी विभागों से जानकारी मांगी गई है, जानकारी इकट्ठा होते ही उपलब्ध करा दी जाएगी।’ गुप्ता ने तारांकित प्रश्न 12 के माध्यम से पूछा था, ‘क्या विभिन्न अदालतों में दिल्ली सरकार की ओर से पेश होने के लिए निजी वकीलों को नियुक्त किया गया है? अगर हां तो अभी तक कितनी नियुक्तियां की जा चुकी हैं? कितने मुकदमों में नियुक्तियां की गई हैं? इन्हें भुगतान की जाने वाली फीस का विवरण क्या है और क्या सरकार का प्रतिनिधित्व करने के लिए बहुत से मुकदमों में एक से अधिक वकीलों को लगाया गया है, अगर हां तो उसका विवरण क्या है?’ नेता विपक्ष ने कहा, ‘मैं पिछले चार महीनों से सवाल कर रहा हूं, लेकिन मेरे सवालों का जवाब ही नहीं आता, सरकार जान-बूझकर भ्रष्टाचार के तहत मामले को दबा रही है, जनता का करोड़ों रुपया इन पर लग रहा है, सरकार की नीयत साफ नहीं है।’

हालांकि, सत्तापक्ष के सदस्यों ने दखल देते हुए कहा कि सरकार ने जवाब दिया है। अध्यक्ष राम निवास गोयल ने पूछा कि क्या आप इस जवाब से खुश नहीं है। इस पर गुप्ता ने फिर सवाल किया, जवाब है कहां? गुप्ता ने विशेष उल्लेख के दौरान न्यूनतम मजदूरी का मुद्दा भी सदन के सामने रखा। उन्होंने पूछा कि न्यूनतम मजदूरी बढ़ाने के सरकार के फैसले ने लोगों को फायदे के बजाए नुकसान की ओर धकेल दिया है। केवल 10 फीसद लोगों को ही न्यूनतम मजदूरी मिल पा रही है और पिछले डेढ़ साल में उल्लंघन के एक भी मामले में कार्रवाई नहीं हुई है।

सरकार की ओर से जवाब देते हुए मंत्री गोपाल राय ने कहा कि सरकार कानून सम्मत तरीके से न्यूनतम मजदूरी में बढ़ोतरी पर काम कर रही है, इसके क्रियान्वयन पर नजर रखने के लिए एक त्रिपक्षीय समिति का गठन किया जाएगा। विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन दो विधेयक सदन के पटल पर रखे गए, दिल्ली विलासिता कर (संशोधन) विधेयक, 2016 और भारत रत्न डॉ बीआर आंबेडकर विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 20016।