Himachal Congress: हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (HPCC) के अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर मामला फंसा हुआ है। दिल्ली में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) नेतृत्व के साथ विचार-विमर्श करने के कुछ दिनों बाद राज्य के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि उन्होंने पार्टी हाईकमान को सुझाव दिया है कि पार्टी इकाई का नया प्रमुख अनुसूचित जाति (SC) से होना चाहिए।

सीएम सुक्खू ने शुक्रवार को शिमला में मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि मैंने आलाकमान को सुझाव दिया था कि नया हिमाचल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दलित समुदाय से होना चाहिए। अगर आलाकमान इसे उचित समझे, तो कोई कैबिनेट मंत्री भी इस पद पर नियुक्त हो सकता है। मैंने अपनी राय लिखित में दे दी है।

सुक्खू के इस बयान के कुछ घंटे बाद हिमाचल प्रदेश कांग्रेस की निवर्तमान अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने राज्य पार्टी मुख्यालय में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। जिसमें प्रतिभा सिंह ने अपने पति और छह बार के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह की विरासत के महत्व पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि राज्य की आबादी का एक बड़ा हिस्सा आज भी वीरभद्र सिंह की विरासत के साथ मजबूती से खड़ा है, और इसकी किसी भी तरह की उपेक्षा राज्य में पार्टी के लिए बेहद नुकसानदेह साबित हो सकती है।

प्रतिभा सिंह ने कहा कि उन्होंने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) नेतृत्व को हिमाचल प्रदेश की वास्तविक राजनीतिक स्थिति से अवगत करा दिया है। उन्होंने कहा कि अब पार्टी आलाकमान को ही फैसला लेना है। संगठन (HPCC) के गठन को लेकर शीर्ष नेतृत्व के साथ खुली चर्चा हुई है।

सुक्खू और प्रतिभा के बयानों से राज्य कांग्रेस के भीतर गहरी दरार का पता चलता है, जो अब नए पार्टी प्रमुख के चयन में सामने आ रही है।

गुरुवार को प्रतिभा सिंह ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा था कि मैंने मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी की अध्यक्षता में हुई बैठक में राज्य पार्टी प्रमुख की नियुक्ति में हो रही देरी और भंग ब्लॉक और जिला स्तरीय समितियों के गठन को लेकर अपनी चिंताएं व्यक्त कीं। मैंने उनसे कहा कि पार्टी कार्यकर्ता मेरी बात नहीं सुनते, क्योंकि उन्हें पता है कि एक नया पार्टी प्रमुख नियुक्त किया जाना है, लेकिन यह नहीं पता कि कब? पार्टी इकाई संगठनात्मक ढांचे के अभाव में जूझ रही है। मैंने उनसे आग्रह किया कि जिसे भी नया कांग्रेस प्रमुख नियुक्त किया जाए, वह एक जन नेता होना चाहिए।

प्रतिभा सिंह ने यह भी कहा कि मैंने वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं से कहा कि वीरभद्र सिंह की विरासत को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। पिछले विधानसभा चुनाव में वीरभद्र सिंह के काम और नाम की बदौलत कांग्रेस भारी बहुमत से जीती थी। कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि एआईसीसी (AICC) नेतृत्व के साथ बैठकों के दौरान कुछ मंत्रियों ने भी सुक्खू सरकार के कामकाज पर अपना असंतोष व्यक्त किया।

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सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस आलाकमान ने खुली चर्चा के दौरान राज्य के सभी वरिष्ठ पार्टी नेताओं से फीडबैक मांगा था। एक सूत्र ने बताया कि सभी ने अपने-अपने सुझाव दिए, कुछ प्रतिभा सिंह के प्रभाव को दर्शाते थे तो कुछ सीएम सुक्खू के। आलाकमान ‘एक व्यक्ति, एक पद’ के सिद्धांत पर अड़ा हुआ है, जिसका मतलब है कि अगर किसी कैबिनेट मंत्री को पार्टी अध्यक्ष बनाया जाता है, तो उसे अपना कैबिनेट पद छोड़ देना चाहिए।

सुक्खू के एक करीबी कांग्रेस नेता ने बताया कि हिमाचल प्रदेश के मतदाताओं में 27% दलित हैं। यही वजह है कि भाजपा ने शिमला के सांसद सुरेश कश्यप को पहले दो बार प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नियुक्त किया था। कांग्रेस में भी कृष्ण दत्त सुल्तानपुरी जैसे दलित नेता पार्टी अध्यक्ष रहे हैं। दलित समुदाय को ध्यान में रखते हुए सुक्खू और प्रतिभा सिंह दोनों गुटों ने प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए दो दलित विधायकों के नाम सुझाए थे।

बता दें, नवंबर 2024 में एआईसीसी अध्यक्ष खड़गे ने हिमाचल प्रदेश कांग्रेस की सभी ब्लॉक, जिला और राज्य स्तरीय कार्यकारी समितियों को भंग कर दिया था, जिससे केवल प्रतिभा को एचपीसीसी प्रमुख के रूप में बने रहने की अनुमति मिली। वहीं, महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर शरद पवार ने बड़ा दावा किया है। पढ़ें..पूरी खबर।