Telangana: सत्ताधारी टीआरएस के चार विधायकों के खरीद-फरोख्त के मामले में तेलंगाना हाईकोर्ट ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) कोर्ट के आदेश को रद्द करते हुए भाजपा से जुड़े 3 आरोपियों, रामचंद्र भारती, नंदा कुमार और सिम्हायाजी स्वामी को 24 घंटे के भीतर पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने को कहा है। उच्च न्यायालय की अलग-अलग पीठों ने सीआरपीसी की धारा 41 के तहत आरोपियों को नोटिस देने के मुद्दे पर दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं और पुलिस को 4 नवंबर तक मामले की जांच रोकने का भी निर्देश दिया है।
क्या है पूरा मामला ?
साइबराबाद पुलिस के अनुसार विधायक रेड्डी ने एक शिकायत दर्ज कराई थी कि भाजपा से जुड़े तीन लोगों ने 26 सितंबर को उनसे संपर्क किया था। ये आरोपी चाहते थे कि उनके अलावा विधायक बी हर्षवर्धन रेड्डी, जी. बलराजू और रेगा कांथा राव टीआरएस से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो जाएं।
रेड्डी के मुताबिक आरोपियों ने यह भी धमकी दी कि अगर उन्होंने उनकी पेशकश पर ध्यान नहीं दिया तो विधायक के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) में मामले दर्ज कराए जाएंगे। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि राज्य में टीआरएस सरकार गिरा दी जाएगी।
एफआईआर की प्रति के अनुसार, रोहित रेड्डी ने आरोप लगाया कि आरोपियों ने उन्हें 100 करोड़ रुपये के प्रस्ताव के साथ उच्च पदों और आर्थिक लाभों के अलावा केंद्र सरकार के नागरिक कार्यों के अनुबंध दिलाने की भी पेशकश भी की थी बाद में साइबराबाद पुलिस ने एसीबी द्वारा आरोपियों को राहत दिए जाने के फैसले को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया था।
भाजपा-टीआरएस का क्या कहना है ?
हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद मामले ने तूल पकड़ लिया है। जहां इस मामले से दूरी बनाते हुए भाजपा ने मांग की है कि पिछले तीन दिनों में सीएम के आधिकारिक आवास पर होने वाली गतिविधियों की सीसीटीवी फुटेज जारी किया जाए वहीं टीआरएस ने भाजपा पर सरकार को अस्थिर करने की साजिश का आरोप लगाया है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने इसे राजनीतिक ड्रामा बताया और कहा कि इस मामले में संतों और पुजारियों को शामिल करना हिंदू धर्म को कलंकित करने का प्रयास है।