Row Over NHRC And NCRB In Bihar: बिहार में हाल ही में जहरीली शराब से कई लोगों की मौत होने की घटना की जांच करने के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के दौरे पर बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कड़ा एतराज जताया है। उनका कहना है कि यह राज्य सरकार को बदनाम करने की साजिश है। उन्होंने कहा कि संसद में एनसीआरबी (NCRB) की रिपोर्ट पेश की गई, लेकिन यह टीम मध्य प्रदेश (MP) और हरियाणा (Haryana) क्यों नहीं गई? उन्होंने पूछा कि 4 महीने पहले जब बीजेपी सत्ता में थी तब ये लोग कहां थे? यह पूछा जाना चाहिए कि वे यहां आए हैं या भेजे गए हैं।
कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने जांच को केंद्र की साजिश बताया
इस बीच कांग्रेस समेत 14 विपक्षी दलों ने बिहार में जहरीली शराब पीने से लोगों की मौत के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के कदम को लेकर मंगलवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर तीखा प्रहार किया और नीतीश सरकार का समर्थन करते हुए कहा कि राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने के लिए कई जांच एजेंसियों के बाद अब एनएचआरसी को भी सरकार का ‘हथियार’ बना दिया गया है।
विपक्ष ने पूछा भाजपा शासित राज्यों में क्यों नहीं जाती एजेंसी
विपक्षी दलों ने एक संयुक्त बयान में गुजरात, मध्य प्रदेश और भारतीय जनता पार्टी (BJP)-शासित कुछ अन्य राज्यों में जहरीली शराब से हुई मौतों के मामलों का उल्लेख किया और यह सवाल किया कि एनएचआरसी ने इन घटनाओं की जांच की पहल क्यों नहीं की? एनएचआरसी ने बिहार में जहरीली शराब से लोगों की मौत के मामले की ‘मौके पर’ जाकर जांच करने के लिए अपनी जांच टीम नियुक्त करने का फैसला किया है।
विपक्षी दलों ने अपने बयान में कहा, “बिहार में जहरीली शराब पीने से 38 लोगों की मौत हुई है, जो बहुत दुखद और हैरान करने वाली घटना है। बिहार सरकार ने जहरीली शराब बनाने और बेचने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाए हैं तथा जहरीली शराब के प्रति लोगों को सचेत करने के लिए बड़े पैमाने पर जागरुकता अभियान भी आरंभ किया है।” कांग्रेस (Congress),तृणमूल कांग्रेस (Trinamool Congress), आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party), वाम दल (Left parties), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (Nationalist Congress Party) और कुछ अन्य दलों ने बयान जारी किया है।
इन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने एक बार फिर से दिखाया है कि वह किसी भी त्रासदी का इस्तेमाल राजनीतिक लाभ के लिए करने से पीछे नहीं रहने वाली है। इन दलों के अनुसार, 2016 में बिहार में शराबबंदी होने से लेकर 2021 तक राज्य में जहरीली शराब पीने से करीब 200 मौतें हुईं, लेकिन उस वक्त एनएचआरसी ने कोई कदम नहीं उठाया, क्योंकि उस वक्त भाजपा प्रदेश की सत्ता में भागीदार थी। इन दलों ने आरोप लगाया कि विरोधी दलों को निशाना बनाने के लिए सरकार ने ईडी (ED), सीबीआई (CBI), आयकर विभाग (Income Tax Department) के बाद अब एनएचआरसी (NHRC) को भी अपना नया हथियार बना लिया है।