गुजरात के अहमदाबाद में सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ का आज सिविल अस्पताल में मेडिकल किया गया। इस दौरान सीतलवाड़ ने मीडिया के सामने बताया, मेरे हाथ में चोट है उन्होंने इस दौरान अपना हाथ ऊपर उठाकर मीडिया वालों को दिखाना चाहा लेकिन भीड़ होने की वजह से एटीएस की टीम उन्हें वहां से ले गई। जाते हुए सीतलवाड़ ने मीडिया से कहा, “उन्होंने मेरा मेडिकल कर दिया है। मेरे हाथ पर एक बड़ी चोट है, एटीएस ने मेरे साथ यही किया है। अब वे मुझे मजिस्ट्रेट की अदालत में ले जा रहे हैं।”
इसके पहले शनिवार को गुजरात दंगों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सेवानिवृत्त डीजीपी आरबी श्रीकुमार, पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट और एक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़ के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के कोट के बाद एक नई एफआईआर दर्ज की गई है। इस एफआईआर में “अपराध की घटना” की अवधि का उल्लेख एक जनवरी 2002 से लेकर 25 जून 2022 तक किया गया है।
सीतलवाड़ का दावा पुलिस ने की मारपीट
इसके पहले शनिवार को गुजरात एटीएस ने 60 वर्षीय सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को गिरफ्तार करने उनके घर पहुंची तो सीतलवाड़ ने दावा किया कि उन्हें लेने एटीएस टीम ने उनके साथ मारपीट की थी लेकिन अधिकारियों ने इस बात से इनकार किया। दो जीपों में आई गुजरात टीम ने कहा कि उन्हें पूछताछ के लिए अहमदाबाद ले जाया जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने SIT की क्लीन चिट को बरकरार रखा
आपको बता दें कि इसके पहले साल 2002 में हुए गुजरात दंगों के में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को एसआईटी से मिली क्लीन चिट को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखने का आदेश दिया था। इसके ठीक एक दिन बाद अहमदाबाद डिटेक्शन ऑफ क्राइम ब्रांच (डीसीबी) ने रिटायर्ड डीजीपी आरबी श्रीकुमार को गिरफ्तार कर लिया गया। श्रीकुमार की भूमिका पर सवाल उठाया गया था। वहीं मुंबई की एक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़, जिन्होंने याचिकाकर्ता जकिया जाफरी का समर्थन किया था,उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया गया।
संजीव भट्ट, आर बी श्रीकुमार और सीतलवाड़ SIT जांच में दोषी
SIT की जांच में ये भी पाया गया कि संजीव भट्ट, आर बी श्रीकुमार, तीस्ता सीतलवाड़ और अन्य लोगों ने नुकसान पहुंचाने के इरादे से निर्दोष लोगों के खिलाफ झूठी और दुर्भावनापूर्ण आपराधिक कार्यवाही शुरू की थी, जो धारा 211 के तहत दंडनीय अधिनियम है। संजीव भट्ट और आर बी श्रीकुमार ने कई लोगों को फंसाने के इरादे से गलत रिकॉर्ड बनाए थे, जिसके लिए वे आईपीसी की धारा 218 के तहत दोषी हैं।