तीस्ता सीतलवाड़ को लेकर चल रही एक डिबेट के दौरान तारिक फतह ने कहा कि चायवाला जी-7 में बैठा हुआ ये बात लोगों से हजम नहीं हो रही है। उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान के अलावा हर जगह मुसलमान का मुंह बंद है। जिनको लगता है कि मुसलमानों के साथ ज्यादती हो रही है, वो कतर, अफगानिस्तान, पाकिस्तान या बांग्लादेश चले जाएं।

तारिक फतह ने कहा कि सिर्फ हिंदुस्तान में मुसलमान वोट दे सकता है और कहीं तो राय भी नहीं दे सकता। उसके बावजूद मौलवी हजरात जिन्होंने इंडिया में इस्लाम की दुकान खोली है। वो उनकी जान को आ जाते हैं।

फतेह ने कहा कि जब तक वेस्टर्न बेस एनजीओ चलते रहेंगे। उनका काम केवल एक है। जितने भी एनजीओ चल रहे हैं। उन सभी की फंडिंग बाहर से है। तीस्ता बगैरा इस तरह के एनजीओ सियासी पार्टियां क्यों नहीं ज्वाइन करतीं। उन्होंने कहा कि इंडिया में लगभग पांच हजार सियासी जमाते हैं, ये इस तरह के एनजीओ उसमें क्यों नहीं शामिल होते।

तारिक फतह ने कहा कि जर्मनी में G-7 के अंदर हिंदुस्तान बैठा हुआ है। इससे तकलीफ किसको है। उन्होंने कहा कि कतर, कुवैत से लड़वाया, सब कुछ करवाने के बाद देखिए पीएम मोदी G-7 की बैठक में हिस्सा ले रहे हैं। उनकी मेंबरशिप नहीं है, लेकिन पीएम मोदी के बगैर कुछ हो नहीं सकता है। फतेह ने कहा कि हिंदुस्तान में दुनिया की सबसे तीसरी बड़ी आर्मी है। सबसे बड़ा लोकतंत्र है। ये वो दुनिया का मुल्क है, जिसके नाम पर एक ओसियन का नाम है। ये इंडिया सिर्फ इंडिया नहीं है। हर जगह हिंद है।

टीबी डिबेट के दौरान ने एंकर ने तारिक फतेह से सवाल पूछा- इंडिया में अल्पसंख्यक खतरे में है। सबसे बड़ी दुकान 2002 दंगों के नाम पर चलाई गई। एंटी मोदी के जरिए, एंटी इंडिया कर दिया गया। कहा गया कि भारत में मुसलमान सुरक्षित नहीं है, भारत में ह्यूमन राइट्स की दिकक्त है। आपको लगता है कि तीस्ता सीतलवाड़ केस में सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर के बाद वो बुनियाद ही खत्म हो गई है?

इस सवाल के जवाब में तारिक फतेह ने कहा कि ये सब चलता रहेगा। जब तक पाकिस्तान जिंदा है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की आईएसआई और जनरल पॉलिसी हमेशा से भारत के खिलाफ खड़ी रहती हैं कि किसी तरह हिंदुस्तान को तबाह किया जाए।

नुपूर शर्मा मामले को लेकर पिछले दिनों हुई हिंसा पर फतेह ने तीखी टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि ‘इसमें देश को बांटने वाली शक्तियों का हाथ था। ये लोग यह नहीं सोचते कि औरंगजेब, मुगल, तैमूर अब नहीं आने वाले। जब तक काफिर शब्द का इस्तेमाल होगा, तब तक मुसलमान हिन्दुस्तानी नहीं बन सकता।’