राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की सांसद सुप्रिया सुले ने मंगलवार को कहा कि “प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में स्टेज पर मौजूद राज्य के उप मुख्यमंत्री को बोलने का अवसर नहीं देना न केवल उनका व्यक्तिगत बल्कि राज्य का भी अपमान है। उसी कार्यक्रम में राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस को बोलने का अवसर दिया गया।” सुले ने कहा कि “यह बेहद गंभीर, दर्दनाक, चौंकाने वाला और अनुचित है। अगर हमारे मुख्यमंत्री मंच पर हैं तो बोलने का उनका अधिकार है।” पीएम मोदी पुणे के देहू में एक मंदिर के उद्घाटन समारोह में आए हुए थे।
अजित पवार के कार्यालय से पुष्टि के बाद सांसद सुले ने दावा किया कि, “अजीत पवार के कार्यालय ने पीएमओ से अनुरोध किया था कि उन्हें कार्यक्रम में बोलने की अनुमति दी जाए, क्योंकि वह डिप्टी सीएम हैं और पुणे जिले के संरक्षक मंत्री भी हैं, लेकिन पीएमओ ने इसे मंजूरी नहीं दी।” कहा, “फडणवीस को बोलने देना उनका निजी मामला है, लेकिन डिप्टी सीएम होने के नाते अजित पवार को देहू कार्यक्रम में बोलने की अनुमति दी जानी चाहिए थी।”
इसको लेकर सुप्रिया सुले और राकांपा कार्यकर्ताओं ने अघोषित रूप से अमरावती में धरना-प्रदर्शन किया। इस बीच, कांग्रेस नेता जीएस सचिन सावंत ने भी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, “यह जानबूझकर किया गया था कि डिप्टी सीएम अजित पवार को पीएम मोदी की रैली में भाषण देने की अनुमति न दी जाए।”
हालांकि सुप्रिया सुले के ट्वीट पर कई लोगों ने आपत्ति जताई है। सुनील शंकर नाम के एक यूजर का कहना है कि ‘अजित पवार’ का मतलब महाराष्ट्र नहीं है। ऐसे में यह राज्य का अपमान कैसे हो गया। आप इसे महाराष्ट्र विकास अघाड़ी की सरकार या अपनी पार्टी का अपमान कह सकती है, पूरे राज्य का नहीं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पुणे के देहू संत तुकाराम मंदिर में एक शिला मंदिर का उद्घाटन करने के लिए आए थे। उद्घाटन और प्रार्थना के बाद आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने लोगों को संबोधित किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि “आज देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। हमें गर्व है कि हम सबसे प्राचीन, जीवित सभ्यताओं में से एक हैं। इसका श्रेय भारत के ‘संत परम्परा’ और भारत के संतों-महात्माओं को जाता है। भारत शाश्वत है क्योंकि यह संतों की भूमि है।”