गाजियाबाद जेल से आरोपी व्यक्ति को जमानत आदेश पारित होने के बावजूद रिहा न करने पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को गंभीर आपत्ति जताई।
न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने संबंधित जेलर और जेल अधीक्षक को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया हैं। पीठ ने इस बात का भी उल्लेख किया कि कथित तौर पर इस आधार पर कि जिस प्रावधान के तहत उसे बुक किया गया था, उसकी एक उपधारा का उल्लेख जमानत आदेश में नहीं किया गया। मामले को बुधवार को पहली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।
पीठ ने आगे निर्देश दिया कि उत्तर प्रदेश के जेल महानिदेशक वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से उपस्थित रहेंगे। कुछ गड़बड़ महसूस करते हुए अदालत ने जो कुछ हुआ उसे हास्यास्पद और न्याय का उपहास कहा हैं। साथ ही याचिकाकर्ता के कथनों के सत्य पाए जाने पर संबंधित प्राधिकारी के खिलाफ अवमानना कार्रवाई का प्रस्ताव भी दिया।
जजों ने वकील को भी दी चेतावनी
जजों ने याचिकाकर्ता के वकील को भी चेतावनी दी कि यदि जेल अधिकारियों के खिलाफ आरोप झूठे पाए गए तो याचिकाकर्ता के लिए परिणाम प्रतिकूल होंगे। जिसमें जमानत आदेश वापस लेना भी शामिल है। जजों ने कहा, यदि हम पाते हैं कि आपका बयान सही नहीं है, या आपको किसी अन्य मामले के कारण हिरासत में लिया गया है तो गंभीर कार्रवाई की जाएगी। लेकिन यदि हम पाते हैं कि यह उप-धारा कारण थी तो हम अवमानना कार्यवाही शुरू करेंगे क्योंकि यह स्वतंत्रता का मामला है। इस न्यायालय को हल्के में न लें।