दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से उस समय राहत मिल गई, जब न्यायालय ने उनके खिलाफ लंबित दो आपराधिक मानहानि के मुकदमों पर रोक लगा दी। साथ ही, इस बारे में दंडात्मक प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर केंद्र से जवाब-तलब कर लिया।
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति प्रफुल्ल सी पंत के खंडपीठ ने आदेश में कहा, ‘नोटिस जारी किया जाए।’ नोटिस का जवाब छह सप्ताह के भीतर देना है। इसके साथ ही न्यायालय ने कहा कि मुख्यमंत्री के खिलाफ दिल्ली की अदालत में लंबित आपराधिक मानहानि के दो मामलों में कार्यवाही पर रोक रहेगी।
शीर्ष अदालत ने केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी और पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के पूर्व राजनीतिक सचिव पवन खेड़ा द्वारा अरविन्द केजरीवाल के खिलाफ दायर मानहानि की शिकायतों पर हो रही कार्यवाही पर रोक लगा दी।
आम आदमी पार्टी के नेता को परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी की शिकायत पर भारतीय दंड संहिता की धारा 499 (मानहानि) और धारा 500 (मानहानि के लिए दंड) के तहत अभियुक्त के रूप में तलब किया गया था। इसके बाद वह इस मामले में मुकदमे का सामना कर रहे हैं।
केजरीवाल के खिलाफ मानहानि का दूसरा मामला शीला दीक्षित के पूर्व राजनीतिक सचिव पवन खेड़ा ने 2013 में कड़कड़डूमा कोर्ट में दर्ज कराया था। मामले के मुताबिक, अक्तूबर 2012 में बिजली की दरों में वृद्धि को लेकर विरोध प्रदर्शन के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री के बारे में की गई टिप्पणियां आपत्तिजनक थीं।
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