बसपा सुप्रीमो मायावती ने लोकसभा चुनाव में निराशाजनक प्रदर्शन पर दुख व्यक्त करते हुए पार्टी के पदाधिकारियों को ‘गठबंधनों’ पर निर्भर रहने के बजाय अपना संगठन मजबूत करने का निर्देश दिया है। मायावती ने आगामी उपचुनाव भी बसपा द्वारा अपने बलबूते लड़ने की बात कह कर भविष्य में गठबंधन नहीं करने का संकेत दिया है। लोकसभा चुनाव के परिणाम की समीक्षा के लिए मायावती ने सोमवार (03 जून) को उत्तर प्रदेश के पार्टी पदाधिकारियों और निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की बैठक में कहा कि बसपा को जिन सीटों पर कामयाबी मिली उसमें सिर्फ पार्टी के परंपरागत वोटबैंक का ही योगदान रहा।

सूत्रों के अनुसार बसपा अध्यक्ष ने लोकसभा चुनाव में सपा के साथ गठबंधन के बावजूद बसपा के पक्ष में यादव वोट स्थानांतरित नहीं होने की भी बात कही है। उन्होंने विभिन्न राज्यों में विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में किए गए गठबंधन से उम्मीद के मुताबिक परिणाम नहीं मिलने का हवाला देते हुए कहा कि अब बसपा अपना संगठन मजबूत कर खुद अपने बलबूते चुनाव लड़ेगी।

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सूत्रों के अनुसार दिल्ली स्थित बसपा कार्यालय में हुई बैठक में पार्टी की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष आरएस कुशवाहा, राज्य में पार्टी के सभी विधायक, नवनिर्वाचित सांसद, प्रदेश के सभी जोनल कोऑर्डिनेटर के अलावा सभी जिला अध्यक्षों को भी बुलाया गया था। समीक्षा बैठक में मायावती ने लोकसभा चुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी गठबंधन को जमीनी स्तर पर मजबूत बनाने के लिए गठित की गई भाईचारा समितियों को आगे भी काम करते रहने को कहा है।

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उल्लेखनीय है कि बसपा ने लोकसभा चुनाव के दौरान बहुजन समाज और पिछड़े वर्गों को चुनाव में एकजुट करने के लिए इन समितियों का गठन किया था। बसपा अध्यक्ष ने पार्टी के संगठन में पिछड़े वर्गों की भागीदारी और जिम्मेदारी बढ़ाने की जरूरत पर बल दिया है। पार्टी प्रमुख ने मंडल स्तर पर कुछ बसपा कोऑर्डिनेटर्स की जिम्मेदारियों में फेरबदल किया है।