Firozabad: फिरोजाबाद लोकसभा सीट सपा का गढ़ रहा है। यहां 2019 में 21 साल बाद बीजेपी का खाता खुला। भाजपा के उम्मीदवार डॉ.चंद्रसेन जादौन ने सपा प्रत्याशी अक्षय यादव हराया था, लेकिन उत्तर प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री और मुलायम सिंह के भाई शिवपाल यादव के समाजवादी पार्टी में शामिल होने के बाद इस शहर की सियासी हवा बदल गई है।

लोगों का कहना है कि जिस उम्मीद के साथ भाजपा प्रत्याशी डॉ.चंद्रसेन जादौन को लोगों ने वोट देकर जिताया था। उस पर वो खरे नहीं उतरे। चूड़ी व्यापारी नरेंद्र शर्मा का कहना है कि भाजपा सांसद ने चार साल में फिरोदाबाद के लिए कोई काम नहीं किया।

शर्मा का कहना है कि अगर शिवपाल यादव इस सीट से खड़े नहीं होते तो चंद्रसेन किसी भी कीमत में नहीं जीतते, क्योंकि सपा ने जहां अक्षय यादव को टिकट दिया था तो वहीं शिवपाल यादव ने अखिलेश से विवाद के बाद अपनी पार्टी प्रसपा बनाई थी और वो अपनी पार्टी से चुनाव लड़े थे, जिसका फायदा भाजपा को हुआ।

स्थानीय नागरिक विजय कुमार का कहना है कि उन्होंने अभी तक भाजपा सांसद को देखा ही नहीं है। वहीं एक अन्य स्थानीय हरिओम का कहना है कि उन्होंने भी सांसद को नहीं देखा, न ही वो कभी इधर आए, केवल हम लोगों ने भारतीय जनता पार्टी के नाम पर वोट दिया था।

बता दें, साल 1998 में राम लहर में यहां से भाजपा के टिकट पर प्रभुदयाल कठेरिया सांसद चुने गए थे। इसके बाद हुए लोकसभा के पांच चुनावों में भाजपा को मुंह की खानी पड़ी। 1999 से लेकर 2014 तक हुए चुनाव में भाजपा चुनाव हारती रही, लेकिन 2019 की चुनाव में भाजपा ने फतह हासिल की।

इस चुनाव में शिवपाल यादव ने अपने भतीजे अक्षय यादव के खिलाफ चुनाव लड़ने का फैसला सपा के राष्ट्रीय महासचिव प्रोफेसर रामगोपाल यादव को सबक सिखाने के लिए किया था। दरअसल इस चुनाव में रामगोपाल यादव की प्रतिष्ठा दांव पर थी। शिवपाल की जब रामगोपाल से ठनी और शिवपाल ने जब सपा से अलग होकर अपनी नई पार्टी बना ली तभी से उन्होंने यहां से चुनाव लड़ने की तैयारी शुरू कर दी थी।