पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव की तारीख की घोषणा होने के साथ ही सियासी रणनीति तैयार होने लगी है। बंगाल में तृणमूल कांग्रेस (TMC) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच टक्कर देखने को मिलेगी। ऐसे में कभी बीजेपी की सहयोगी रही शिवसेना ने इस मुक़ाबले को और भी दिलचस्प कर दिया है। शिवसेना ने ऐलान किया है कि वह बंगाल में चुनाव नहीं लड़ेगी।

शिवसेना ने चुनाव में अपनी पार्टी के उम्‍मीदवार नहीं उतारने और ममता दीदी की तृणमूल कांग्रेस का समर्थन करने का ऐलान किया है। इस ऐलान ने हर किसी को हैरान कर दिया है। शिवसेना के राज्यसभा सांसद और पार्टी के प्रवक्ता संजय राउत ने ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी है। उन्होने ममता बनर्जी को समर्थन देते हुए ‘रियल बंगाल टाइग्रेस’ कहकर बुलाया है।

संजय राउत ने ट्वीट कर लिखा “‘बहुत सारे लोग यह जानने के इच्‍छुक हैं कि शिवसेना पश्चिम बंगाल में चुनाव लड़ेगी या नहीं?’ इसलिए पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे से चर्चा करने के बाद यह अपडेट आपके साथ शेयर कर रहा हूं। मौजूदा परिदृश्‍य को देखते हुए ऐसा लगता है कि यह ‘दीदी vs ऑल’ फाइट है। ऑल M’s का अर्थ-मनी, मसल और मीडिया का उपयोगी ममता दीदी के खिलाफ किया जा रहा है। ऐसे में शिवसेना ने पश्चिम बंगाल चुनाव में नहीं लड़ने का फैसला किया है और उनके साथ (ममता बनर्जी) के साथ खड़े रहने का फैसला किया है। हम ममता दीदी की सफलता चाहते हैं क्‍योंकि हमारा मानना है कि वह रियल बंगाल टाइग्रेस हैं।”

इससे पहले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भाजपा और आरएसएस पर तंज कसते हुए कहा कि शिवसेना अगर आजादी की लड़ाई में शामिल नहीं थी तो आपका मूल संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) भी इसका हिस्सा नहीं था। सिर्फ भारत माता की जय बोल देना ही भाजपा को देशभक्त नहीं बना देगा।

भाजपा ने शिवसेना पर निशाना साधते हुए कई बार कहा है कि पार्टी ने कांग्रेस और राकांपा के साथ गठबंधन करने के बाद हिंदुत्व की विचारधारा को ‘त्याग’ दिया है। औरंगाबाद का नाम बदलने में देरी पर भी विपक्षी दल ने महाराष्ट्र सरकार पर निशाना साधा है।

इसपर ठाकरे ने कहा “आप सावरकर को भारत रत्न नहीं देते और हमें शहर का नाम बदलने पर पाठ पढ़ा रहे हैं।” ठाकरे ने कहा कि सावरकर को भारत रत्न देने की मांग के लिए (केंद्र को) दो बार चिट्ठी भेजी गयी। भारत रत्न कौन देता है? प्रधानमंत्री और एक कमेटी के पास इसका अधिकार है।