दिल्ली में अपराध की दर मुंबई की तुलना में दो फीसद कम है। निर्भया कांड झेल चुकी और ‘रेप कैपिटल’ के नाम से बदनाम दिल्ली लैंगिक उत्पीड़न के मामले में काफी आगे है। कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिसिएटिव (सीएचआरई) के सर्वेक्षण में यह खुलासा हुआ है कि दिल्ली में अपराध के 11 मामलों में से 1 मामला लैंगिक उत्पीड़न का होता है, वहीं मुंबई में इसकी संख्या 25 में से 1 है। इतना ही नहीं दिल्ली में लैंगिक उत्पीड़न के ज्यादातर मामले पुलिस की चौखट तक पहुंच ही नहीं पाते हैं और जो पहुंचते हैं उनमें एफआइआर दर्ज नहीं होती।
सीएचआरई के सर्वेक्षण रिपोर्ट (क्राइम विक्टिमाइजेशन एंड सेफ्टी परसेप्शन) से खुलासा हुआ है कि दिल्ली में जहां 13 फीसद घरों ने अपराध की घटना का सामना किया है वहीं मुंबई में 15 फीसद घरों ने अपराध की घटना का सामना किया है। दोनों मेट्रो शहरों में चोरी और उसमें भी मोबाइल चोरी के मामले सबसे आगे रहे, लेकिन दिल्ली में दूसरे पायदान पर लैंगिक उत्पीड़न रहा जबकि मुंबई में शारीरिक हमला रहा।
लैंगिक उत्पीड़न के संबंध में महिलाओं से पूछे गए सवाल के जवाब में सामने आया कि दिल्ली में अपराध के 11 मामलों में से 1 मामला लैंगिक उत्पीड़न का होता है, वहीं मुंबई में इसकी संख्या 25 में से 1 है। इसके साथ ही जो सबसे चिंताजनक तथ्य उभरा वह था कि दिल्ली में लैंगिक उत्पीड़न के 13 मामलों में से केवल 1 मामला (7.5 फीसद) पुलिस दर्ज करती है, वहीं मुंबई में 9 मामलों में से 1 मामला (11.1 फीसद) पुलिस तक पहुंचता है। हालांकि, दिल्ली में कुल अपराध मामलों की पुलिस रिपोर्टिंग मुंबई की तुलना में ज्यादा है।
लैंगिक उत्पीड़न के मामलों की पुलिस रिपोर्टिंग दोनों शहरों में अन्य अपराधों की तुलना में काफी खराब है। सर्वेक्षण के दौरान दिल्ली में अपराध के शिकार 46.8 फीसद घरों ने पुलिस रिपोर्ट दर्ज कराने की बात कही, वहीं मुंबई में यह 41.8 फीसद रहा। लेकिन लैंगिक उत्पीड़न के मामले में यह औसत दिल्ली में 7.5 फीसद रहा और मुंबई में 11.1 फीसद। दिल्ली में लैंगिक उत्पीड़न मामलों का पुलिस की चौखट तक नहीं पहुंचने के पीछे पीड़ित का पुलिस के प्रति अविश्वास और न्यायायिक प्रणाली में नहीं उलझने की मानसिकता सामने आई। दिल्ली में 24 फीसद लोगों ने कहा कि वे पुलिसिया कार्रवाई और अदालती चक्करों में नहीं उलझना चाहते, वहीं 13 फीसद का कहना था कि उन्हें नहीं लगता कि पुलिस कुछ कर पाएगी। मुंबई में ऐसे लोगों की संख्या 6 फीसद रही।
इतना ही नहीं, लैंगिक उत्पीड़न के जो मामले पुलिस में दर्ज कराए गए उनमें एफआइआर दर्ज कराने की दर और काफी चिंताजनक है। दिल्ली में यह औसत शून्य रहा, जबकि मुंबई में 40 फीसद। दोनों शहरों में एफआइआर दर्ज किए जाने का औसत लगभग एक बराबर है। दिल्ली में यह 48.75 फीसद है, वहीं मुंबई में 48.41 फीसद। राजधानी में जहां लगभग केवल एक तिहाई लोगों (36फीसद) ने पुलिस कार्रवाई पर संतुष्टि जताई वहीं मुंबई में आधे (51 फीसद) लोग पुलिस से संतुष्ट दिखे।
सीएचआरई की निदेशक माजा दारुवाला ने कहा है, ‘दोनों शहरों में अपराध के मामलों पर कार्रवाई का अभाव और उनका निपटारा नहीं होना लोगों, खासकर महिलाओं के बीच असुरक्षा की चिंताजनक स्थिति दर्शाता है। सरकार और पुलिस को पर्याप्त संसाधन लगाने और उचित योजना तैयार करने की जरूरत है’।
सीएचआरई ने यह सर्वेक्षण दोनों मेट्रो शहरों में जुलाई-अगस्त 2015 के दौरान किया, जिसके अंतर्गत जुलाई 2014 से जून 2015 के दौरान लोगों के अपराध का सामना और उस पर कार्रवाई के संंबंध में उनके अनुभव पर सवाल पूछे गए। दिल्ली में कुल 4950 घरों और मुंबई में 5850 घरों में जाकर सर्वेक्षण किया गया और लोगों से 7 तरह के अपराधों के बारे में सवाल किए गए वे थे, चोरी, शारीरिक हमला, डकैती, लैंगिक उत्पीड़न, आपराधिक धमकी, अप्राकृतिक मौत और गुमशुदगी। सर्वेक्षण में घरों को आय समूह में भी बांटा गया और निष्कर्ष निकला कि उच्च आय वर्ग के लोग कम अपराध का सामना करते हैं।