उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जनपद में बड़ी संख्या में प्रगतिशील किसान जैविक और प्राकृतिक खेती को आधुनिक तकनीक और साधनों के जरिए जहां उन्नत किस्म की पैदावार ले रहे हैं। वहीं, उनकी आय भी परंपरागत खेती की तुलना में तीन से चार गुना हो रही है। ऐसे ही एक प्रगतिशील किसान राजेंद्र कुमार अटल दिल्ली रोड स्थित पांच एकड़ के अपने कृषि फार्म प्राकृतिक कुंज में नवाचार और प्राकृतिक खेती के समन्वय से आम, सेब, केला, आड़ू आदि फलों की बारहमासी फसल ले रहे हैं। उन्होंने बताया कि उनके यहां केवल पांच फुट ऊंचे आम के ऐसे वृक्ष हैं, जो पूरे वर्ष फलों से लदे रहते हैं।
राजेंद्र अटल अग्रवाल इन अनोखे प्रयोग की वजह से देशभर में सुर्खियों में हैं। उनके प्राकृतिक कुंज में विकसित बारहमासी आम की प्रजाति का वृक्ष केवल पांच फुट ऊंचा है और एक वर्ष में चार से पांच बार फल देता है। इन आमों का स्वाद बेमिसाल है और उत्पादकता इतनी अधिक है कि किसानों की आय दस गुना तक बढ़ सकती है। इनके वृक्ष कम जगह में ज्यादा फल देते हैं। छोटे किसानों और शहरी बागवानों के लिए यह वरदान जैसा है। इन पेड़ों के प्रतिरोधी होने के कारण कम देखभाल की जरूरत होती है और कीटनाशकों का इस्तेमाल भी नहीं करना पड़ता। ये पेड़ शहरी किचन गार्डन, छतों और छोटी खेती के लिए भी आदर्श है।
मैदानी इलाके में उत्कृष्ट प्रजातियों के रसीले और स्वादिष्ट सेब की खेती
दिलचस्प है कि प्रकृति कुंज ने सहारनपुर जैसे मैदानी इलाके में उत्कृष्ट प्रजातियों के रसीले और स्वादिष्ट सेब की खेती को संभव कर दिखाया है। प्राकृतिक कुंज में बड़े स्तर पर सेब पैदा किया जा रहा है। राजेंद्र अटल लाल सेब को सफलतापूर्वक उगाने का सफल प्रयोग किया है। 15 जुलाई के आसपास सेब पककर लाल रंग का हो जाता है। इन दिनों प्रकृति कुंज में लाल सेबों से अच्छादित है। ध्यान रहे पर्वतीय इलाकों हिमाचल और जम्मू कश्मीर का सेब सर्दी के मौसम में आता है और उसको शीतगृहों में रखकर उसका बिना मौसम भी इस्तेमाल होता है लेकिन वह स्वादहीन होने के साथ-साथ ऊंचे दामों पर मिलता है।
राजेंद्र अटल ने अपने प्रयोगों से यह साबित कर दिया है कि सहारनपुर के प्रगतिशील किसान उनका अनुसरण करते हैं तो वे यहां भी बड़े पैमाने पर ऊंची गुणवत्ता के सेबों की बागवानी बड़े पैमाने पर करके मालामाल हो सकते हैं। राजेंद्र अटल कहते हैं कि अभी तक यह यह माना जाता था कि सहारनपुर की जलवायु सेब की पैदावार के अनुकूल नहीं है। यहां सेब कैसे पैदा हो सकता है।
राजेंद्र अटल ने सहारनपुर की गर्म जलवायु में, जहां 45 डिग्री सेल्सियस तक तापमान रहता है, परीक्षण के लिए सेब के 40 पेड़ लगाए। जो जून में फसल देने लगे और उनके सेब का स्वाद कश्मीर के सेब से बहुत अच्छा है। इस मौसम में सेब बाजार में नहीं होता या फिर ऊंचे दामों पर मिलता है या फिर कश्मीर का शीतगृहों में रखा सेब आता है जो चार गुणा दामों पर मिलता है जबकि प्रकृति कुंज में सेब की फसल की बहार आई हुई है। प्रकृति कुंज पांच एकड़ में फैला है और इसकी पहचान और ख्याति वनस्पति पार्क के रूप में हो गई है।
इस वनस्पति पार्क में नवग्रह वृक्ष, 12 राशि वृक्ष, 27 नक्षत्र वृक्ष, 12 तरह की तुलसी, हरी संकरी, ब्रह्म कमल, उलट कमल, रामसर-दीमक रोधी, नशा रोधी-दहीमन, चूहा रोधी- गिरि पुष्प इंशूलिन, तेज पत्र, दालचीनी, पान मिठाई, मक्खन कटोरी, कृष्णावट, सिंदूर का पौधा, कुमकुम, काली हल्दी, सफेद हल्दी, लाल चंदन, सफेद चंदन, सदाबहार अमरूद, आम महोगुनी, सीता, अशोक, पुत्र जीवा, रुद्राक्ष, कृष्णा फल, फैशन फ्रूट, पारस पीपल, फाईक्स पीपल, पूजा करने वाला छोटा केला, लाल गन्ना- पोंडा, सात रंग का गुडहल, खुबानी, आम- पेस्ट अदरख, सौंठ, सफेद शहतूत, कमल, कई रंगों में कुमुदिनी कमल, कृष्णप्रिया वैदयंति मोती जिनकी भगवान श्रीकृष्ण माला पहनते थे आदि दर्शनीय पौधों में शामिल हैं।
लाल चंदन और पंचमुखी रूद्राक्ष के लगा चुके हैं पौधे
राजेंद्र अटल के साथ इन पंक्तियों के लेखक ने प्रकृति कुंज में तितलीप्रिय टैनारेड, येलो, वाटर बंबू, लेवेंडर लोहबान, ब्राह्मणी, विजयशाल, पान, खैर आदि के पौधे सभी को लुभाते हैं। इस दर्शनीय पार्क में विभिन्न प्रकार के जीव-जंतु मौजूद हैं गाय, घोड़ी, बकरी, खरगोश, मुर्गी, बत्तख, टर्की, मोर, तीतर, कबूतर, बटेर, रंगीन मछलियां हर किसी को लुभाती हैं।
भारत के 14वें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और उनकी पत्नी सविता कोविंद ने 28 नवंबर 2022 को प्रकृति कुंज में अपने हाथों से लाल चंदन और पंचमुखी रूद्राक्ष के पौधे रोपित किए थे। इन तीन वर्षों की अवधि में पूरी तरह से स्वस्थ हैं और तेजी से विकसित हो रहे हैं। इस प्रकृति कुंज में प्राकृतिक चिकित्सा की सुविधा भी उपलब्ध है। राजेंद्र अटल अग्रवाल महात्मा गांधी को उद्धृत करते हुए कहते हैं कि जब सभी तरह के इलाज नाकाम हो जाते हैं तो प्राकृतिक चिकित्सा लोगों के प्राण बचा सकती है और उन्हें स्वस्थ बना सकती है।
राजेंद्र अटल के यहां 10 वर्ष से सैकड़ों की संख्या में यह उपयोगी वृक्ष लगे हुए हैं और उसके गुणों की जानकारी सार्वजनिक होने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उसके इस्तेमाल करने पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस वृक्ष के पौधा रोपण पर विशेष ध्यान दिया और इस बार के पौधारोपण में बड़े पैमाने पर शहजन के पौधों का वृक्षारोपण किया गया। स्वयं राजेंद्र अटल द्वारा इसके हजारों पौधों नि:शुल्क वितरित किए।