बिहार में राजनीतिक घटनाक्रम बहुत तेजी से बदल रहा है। इस बीच सरकार गिरने बनाने के खेल में सियासी दलों अपनी-अपनी रणनीति के साथ मैदान में डट गए हैं। इस बीच तेजस्वी यादव की पार्टी आरजेडी के 18 विधायकों की सदस्यता पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। कुछ दिन पहले विधानसभा अध्यक्ष से दुर्व्यवहार मामले में अनुशासन समिति की रिपोर्ट स्पीकर विजय कुमार सिन्हा को मिल गई है। इसमें राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के 18 विधायकों को दोषी पाया गया है। अब इनके खिलाफ कार्रवाई होती है तो इनकी सदस्यता भी जा सकती है। चर्चा है कि स्पीकर कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं।
बिहार विधानसभा में आरजेडी के 79 विधायक हैं और वह सिंगल लारजेस्ट पार्टी है। भाजपा के विधायकों की संख्या 77 है। सीएम नीतीश कुमार के भाजपा से गठबंधन तोड़ने के बाद वह आरजेडी के साथ मिलकर सरकार बनाएंगे। अगर आरजेडी विधायकों पर कार्रवाई होती है तो बीजेपी बिहार की सबसे बड़ी पार्टी बन जाएगी। बिहार में विधानसभा में कुल 243 सदस्य हैं।
कार्रवाई हुई तो छिन जाएगा बड़ी पार्टी का दर्जा
आरजेडी के 18 विधायकों पर कार्रवाई होने पर बिहार में सबसे बड़ी पार्टी होने का दर्जा छिन जाएगा। हालांकि नीतीश कुमार के साथ मिलकर सरकार बनाने पर कोई बाधा आने की आशंका नहीं है। इससे पहले मंगलवार को सुबह से ही सियासी पारा चढ़ा रहा। जनता दल यू के नेता नीतीश कुमार अपने विधायकों के साथ अपने आवास पर बैठक किए तो दूसरी तरफ राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव अपनी मां राबड़ी देवी के आवास पर बैठक कर रणनीति बनाने में जुटे रहे।
उधर, सीएम नीतीश कुमार ने राज्यपाल से मिलने के लिए समय मांगा है। माना जा रहा है कि इस मुलाकात में भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ने की सूचना देने की कार्यवाही हो सकती है। उनके समय मांगे जाने के बाद बीजेपी की ओर से प्रतिक्रिया आई कि उनके मंत्री इस्तीफा नहीं देंगे, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहले खुद इस पर पहल करें।
वहीं पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास पर आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव आरजेडी विधायकों के साथ बैठक कर रहे हैं। इस बैठक में कांग्रेस और वाम दलों के विधायक भी शामिल हैं। कांग्रेस विधायक शकील अहमद ने तो नए सीएम के नाम का दावा तक कर दिया है उन्होंने कहा नीतीश कुमार ही महागठबंधन के मुख्यमंत्री होंगे।