दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को पूर्व मुख्य सचिव अंशु प्रकाश पर कथित हमले के मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और नौ अन्य को आरोप मुक्त कर दिया। राउज एवेन्यू कोर्ट में अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट सचिन गुप्ता की अध्यक्षता में एक विशेष एमपी /एमएलए अदालत ने AAP नेताओं को राहत देते हुए आदेश सुनाया। हालांकि मजिस्ट्रेट गुप्ता ने AAP विधायकों अमानतुल्ला खान और प्रकाश जारवाल के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया है।

पुलिस ने केजरीवाल और 12 अन्य पर भारतीय दंड संहिता की धारा 186 (लोक सेवक को सार्वजनिक कार्यों के निर्वहन में बाधा डालना), 353 (लोक सेवक को उसके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल का इस्तेमाल करना), 332 (स्वेच्छा से लोक सेवक को कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए चोट पहुंचाना), 323 (चोट पहुंचाना), 342 (कैद करने के लिए सजा), 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान), 120-बी (आपराधिक साजिश की सजा), और 149 (गैरकानूनी काम में शामिल होने) के तहत मामला दर्ज किया था।

कथित हमला 19 और 20 फरवरी, 2018 की दरम्यानी रात को केजरीवाल के आवास पर हुआ, जहां तत्कालीन सचिव प्रकाश को एक बैठक के लिए बुलाया गया था। प्रकाश की शिकायत पर मामला दर्ज किया गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि AAP विधायकों ने उनके साथ मारपीट की।

केजरीवाल और सिसोदिया के अलावा विधायक अमानतुल्ला खान, प्रकाश जारवाल, नितिन त्यागी, ऋतुराज गोविंद, संजीव झा, अजय दत्त, राजेश ऋषि, राजेश गुप्ता, मदन लाल, परवीन कुमार और दिनेश मोहनिया को मामले में आरोपी बनाया गया था।

केजरीवाल, सिसोदिया और आप के नौ अन्य विधायकों को अक्टूबर 2018 में जमानत दे दी गई थी। अमानतुल्ला खान और प्रकाश जरवाल को उच्च न्यायालय ने पहले जमानत दी थी। इस कथित हमले के बाद दिल्ली सरकार और उसके नौकरशाहों के बीच खींचतान शुरू हो गई थी।

वहीं उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि तत्काल सुनवाई के लिए मामलों का पीठ के समक्ष सीधे उल्लेख करने के बजाए शीर्ष अदालत के अधिकारियों के सामने ऐसा करने की व्यवस्था बनाई गई ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वरिष्ठ अधिवक्ताओं को उनके कनिष्ठ सहयोगियों की तुलना में ‘‘विशेष प्राथमिकता’’ नहीं दी जाए।

पीठ ने कहा, ‘‘हम वरिष्ठ अधिवक्ताओं को विशेष प्राथमिकता देकर कनिष्ठ अधिवक्ताओं वकीलों को अवसरों से वंचित नहीं करना चाहते है। इसलिए यह प्रणाली बनाई गई जहां सभी लोग रजिस्ट्रार के समक्ष मामले को रख सकें।’’