Rampur: रामपुर विधानसभा उपचुनाव (Rampur By Election) में हुई कम वोटिंग को लेकर समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) लगातार उत्तर प्रदेश सरकार पर हमलावर है। सपा का कहना है कि सरकार के अधिकारियों ने हर उस हथकंड़े का इस्तेमाल किया, जिससे वोटर्स को वोट डालने जाने से रोका जा सके। यहां पर बीजेपी के उम्मीदवार आकाश सक्सेना (Akash Saxena) को 62 फीसदी वोट मिले हैं, जबकि उनके प्रतिद्वंदी असीम रजा (Asim Raza) को 36 फीसदी मत प्राप्त हुए।
मुस्लिम बहुल इलाकों में हुई कम वोटिंग
रामपुर में बूथ-वार मतदान पर एक नजर डालने से पता चलता है कि विभिन्न क्षेत्रों में हिंदुओं और मुस्लिम समुदाय द्वारा मतदान में व्यापक अंतर है। मुस्लिम बहुल बूथों पर मतदान हिंदू बहुल बूथों की तुलना में आधा दर्ज किया गया है। इसके अलावा, जिन शहरी क्षेत्रों में मुस्लिम अधिक हैं, वहां 23 फीसदी वोटिंग हुई, जबकि ग्रामीण रामपुर में कुल मतदान 46% था।
रामपुर विधानसभा क्षेत्र के लगभग 65% मतदाता मुस्लिम हैं, जिसकी लगभग 80 फीसदी आबादी शहरी क्षेत्रों में रहती है। वहीं, हिंदू आबादी की बात करें तो ग्रामीण क्षेत्रों में उनकी पर्याप्त संख्या है। ज्यादातर निर्वाचन क्षेत्र शहरी हैं और उनकी मदद से आजम खान 10 बार के रामपुर के विधायक रहे हैं।
हिंदू बहुल इलाकों में 46 फीसदी और मुस्लिम क्षेत्रों में सिर्फ 23 फीसदी वोटिंग
हाल ही में यहां हुए उपचुनाव में भाजपा और सपा ने वोटरों को लुभाने के लिए खूब मेहनत की। इसके बावजूद मुस्लिम वोट काफी कम देखा गया। रामपुर शहरी इलाके में कुल 325 में से 77 मतदान केंद्रों में हिंदुओं का वर्चस्व है, और यहां 68,000 से अधिक मतदाता हैं। यहां 46 फीसदी मतदान दर्ज किया गया था। इसके विपरीत, बाकी के 248 बूथ मुस्लिम बहुल हैं, जिनमें 2 लाख से अधिक मतदाता हैं, लेकिन यहां मतदान केवल 23 फीसदी दर्ज किया गया।
बता दें कि रामुपर विधानसभा उपचुनाव के गुरुवार (8 दिसंबर, 2022) को नतीजे आ गए हैं। इन चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने समाजवादी पार्टी को 33 हजार वोटों से हरा दिया है। इस सीट पर बीजेपी उम्मीदवार आकाश सक्सेना और आजम खान के करीबी असीम रजा के बीच मुकाबला था। इस सीट पर इसी साल की शुरुआत में हुए यूपी विधानसभा चुनाव में आजम खान ने जीत दर्ज की थी. लेकिन हाल ही में उनकी विधानसभा की सदस्या रद्द कर दी गई थी। दरअसल, साल 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें प्रचार के दौरान भाषणों में आपत्तिजनक और भड़काऊ टिप्पणी करने का दोषी पाया गया था।