Ram Mandir: अयोध्या राम मंदिर कार्यक्रम के लिए सज-धज कर तैयार है। क्योंकि 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होनी है। राम मंदिर निर्माण के लिए सीएम योगी के मुताबिक, 76 बार आंदोलन हुए, करीब 3 लाख लोग इस आंदोलन में शहीद हुए। ऐसे में यहां एक ऐसे किरदार का जिक्र करना और उससे बातचीत करना जरूरी हो जाता है, जिसने राम मंदिर आंदोलन में बढ़-चढ़कर भाग लिया।

यह किरदार है, भाजपा के फैजाबाद सांसद लल्लू सिंह। सिंह वो शख्स हैं, जो राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख चेहरों में से एक थे और बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले के 32 आरोपियों में से एक थे। सिंह जिनके निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत मंदिर शहर आता है।

बीजेपी सांसद लल्लू सिंह ने इंडियन एक्सप्रेस से बात की। साथ ही राम जन्मभूमि और उससे जुड़े तमाम घटनाक्रम समेत जैसे बीजेपी इस मुद्दे को आगे कैसे उठाएगी। कई सवालों के जवाब दिए। आइए जानते हैं लल्लू सिंह से बातचीत के प्रमुख अंश-

24 साल बाद अयोध्या फिर से राष्ट्रीय राजनीतिक चर्चा के केंद्र में है। 1990 के दशक की शुरुआत और अब की राजनीति में क्या अंतर है?

इस सवाल के जवाब में बीजेपी सांसद लल्लू सिंह ने कहा कि भगवान राम हिंदू धर्म, संस्कृति के प्रतीक और आस्था के केंद्र हैं; वह हमारी पहचान है. यदि हम इस विश्व के किसी भी राष्ट्र का उदाहरण लें तो बहुसंख्यकों की आस्था ही केन्द्र में होगी। और हमारी संस्कृति सर्वव्यापी आस्था की संस्कृति है। उन्होंने कहा कि अयोध्या में प्रभु श्रीराम के मंदिर के लिए लाखों लोगों ने आंदोलन किया था। भाजपा ने वादा किया था कि वह अदालत से मंजूरी पाने में आने वाली सभी बाधाओं को दूर करने का प्रयास करेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि भगवान के लिए एक मंदिर का निर्माण किया जाए।

भाजपा सांसद ने कहा कि 2014 में मोदी की सरकार बनने और उत्तर प्रदेश में योगी के सत्ता में आने के बाद बाधाओं को दूर करने के लिए सभी प्रयास किए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने निर्माण के पक्ष में फैसला सुनाया और सरकार से मस्जिद निर्माण के लिए जमीन देने को कहा। उन्होंने आगे कहा कि जब भी किसी संघर्ष का सकारात्मक परिणाम आता है तो इसका श्रेय उसके पीछे के लोगों को जाता है। यह बिल्कुल स्वाभाविक है कि भाजपा श्रेय ले रही है।’ हमने आंदोलन का नेतृत्व किया था। हमें श्रेय क्यों नहीं मिलेगा?

फैजाबाद के सांसद ने कहा कि विपक्ष तर्क दे रहा था कि राम एक मिथक हैं। राम सेतु के मुद्दे पर यूपीए सरकार ने हलफनामा देकर कहा था कि राम के अस्तित्व को साबित करने के लिए कोई ऐतिहासिक रिकॉर्ड नहीं हैं। वे (राम जन्मभूमि आंदोलन की) शुरुआत से ही गलती कर रहे हैं।’

उन्होंने कहा कि अब विपक्ष हताश है। यह उनके पैरों के नीचे की ज़मीन खिसकने की निराशा से उपजा है। वे इस बात से परेशान हैं कि आजाद भारत के इतिहास में पहली बार हिंदू जातिगत भेदभाव मिटाकर एकजुट हो रहे हैं। मोदीजी समाज में सभी की आवश्यकताओं को पूरा कर रहे हैं और सभी का सम्मान अर्जित कर रहे हैं।

सिंह ने कहा कि वास्तव में उन्हें (कांग्रेस नेताओं)अब तो भगवान राम के चरणों में आ जाना चाहिए। अभी देर नहीं हुई है। भगवान राम उनकी गलतियों को माफ करें और उन्हें आशीर्वाद देंगें।

VHP, RSS और BJP कार्यकर्ताओं ने राम मंदिर के लिए संघर्ष का नेतृत्व किया। आप बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले के 32 आरोपियों में से एक थे, कार्यक्रम का केंद्र पीएम बन गए?

बीजेपी सांसद ने कहा कि हम सभी एक विचारधारा के हैं। जब हम राष्ट्रवाद, देशभक्ति या देश और उसकी संस्कृति को मजबूत करने की बात करते हैं, तो हम एक हैं। मोदीजी हमारे नेता हैं; वह पीएम हैं। वह वैश्विक समुदाय के समक्ष हमारी विचारधारा और संस्कृति का प्रतिनिधित्व करने वाले व्यक्ति हैं। सिंह ने कहा कि देखिये किस तरह मोदी ने योग को बढ़ावा दिया। यह अब धर्म और वर्ग से परे दुनिया भर में लोकप्रिय हो गया है।

लल्लू सिंह ने कहा कि इस देश की आध्यात्मिक एवं सामाजिक चेतना के प्रति जागृति हुई। बहुत से लोग इस पर गर्व महसूस करने लगे। मोदी जी ने इसे महसूस किया और इसके समर्थन में काम किया। उन्हें बहुमत मिला और 2014 में सरकार बनाई। फिर उन्होंने पंक्ति में खड़े आखिरी आदमी के लिए काम करना शुरू किया। सिंह ने कहा कि कोई भी नेता जो लोगों के लिए काम करेगा और उनके जीवन में सुधार करेगा वह लोकप्रिय होगा।

क्या आपको लगता है कि आंदोलन में भाग लेने वाले सभी लोगों को सम्मानित किया जा रहा है?

बीजेपी सांसद लल्लू सिंह ने कहा, ‘यह सच है कि कई लोगों ने राम मंदिर में अहम भूमिका निभाई, लेकिन उन्होंने कभी यह नहीं देखा कि उन्हें इसका क्या श्रेय मिल सकता है। उन्होंने भगवान राम के प्रति अपनी भक्ति की वजह से आंदोलन किया। उन्होंने इसे अपनी प्रतिबद्धता के रूप में लिया कि उनके जन्मस्थान पर एक मंदिर का निर्माण हो… हर धर्म में, ऐसे लोग होते हैं जो प्रतिबद्ध होते हैं। उन्हें श्रेय नहीं मिलता, बल्कि पूरे समुदाय को श्रेय मिलता है।’

रामलला प्राण प्रतिष्ठा समारोह से भाजपा में और अधिक वफादार समर्थक आएंगे?

इस सवाल के जवाब में लल्लू सिंह ने कहा कि सेवा के प्रति समर्पित लोग यह नहीं देखते कि इससे उन्हें क्या लाभ मिलेगा। ईश्वर की सेवा किसी विशेष उद्देश्य से नहीं होती। एक पार्टी के रूप में हम एक ऐसा मंदिर बनाना चाहते थे जो देश की संस्कृति का प्रतीक हो और मानवता और बलिदान का संदेश दे।

बीजेपी नेता ने कहा कि इस देश में बहुसंख्यक जिनमें अन्य धर्मों के लोग भी शामिल हैं, महसूस करते थे कि वहां एक मंदिर होना चाहिए। जो भी वहां जाना चाहता है वह जा सकता है। कांग्रेस की तरफ इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि दूसरों को इसकी आवश्यकता नहीं है, लेकिन किसी को भी मंदिर से शिकायत नहीं है।

22 जनवरी के कार्यक्रम में शामिल नहीं होने वाले विपक्षी दलों ने अलग-अलग योजना बनाई है। आम आदमी पार्टी ने सुंदरकांड पाठ शुरू किया, ममता बनर्जी ने कहा है कि वह काली मंदिर जाएंगी?

इस सवाल के जवाब में भगवान राम के प्रति इस देश के स्नेह और भक्ति का एहसास हर पार्टी को हो गया है। विपक्ष अब डरा हुआ है और अयोध्या में कार्यक्रम का हिस्सा न बनने के अपने मूर्खतापूर्ण फैसले की भरपाई के तरीके तलाश रहा है। यह खुद को बचाने की कोशिश है।

आप धर्म और राज्य के बीच खत्म होती रेखा के आरोप का प्रतिकार कैसे करते हैं?

लल्लू सिंह ने कहा कि जिन देशों की राजनीति धार्मिक मूल्यों और सिद्धांतों पर आधारित होती है, वे देश समाज के लिए अच्छे होते हैं। क्योंकि धर्म आपसे गलत काम नहीं करवाते। ईसाई धर्म एक ऐसा धर्म है जो सेवा पर जोर देता है। यदि राजनीति लोगों की सेवा पर ध्यान केंद्रित नहीं करती है, तो यह विफल हो जाएगी। यदि सार्वजनिक हस्तियां धर्म द्वारा सिखाए गए मूल्यों का पालन करें तो एक स्वस्थ समाज होगा।

क्या आपको लगता है कि सरकार अब काशी और मथुरा के मंदिर विवादों पर ध्यान देगी?

सिंह ने कहा कि हमने इन जगहों के लिए आंदोलन नहीं करने का फैसला लिया है। हमने इसे अदालतों पर छोड़ दिया है। जिन लोगों के पास यह साबित करने के लिए कारण और दस्तावेज़ हैं कि मूल मंदिरों को कुछ और बनाने के लिए ध्वस्त कर दिया गया था, वे अदालत में जाएंगे। अगर उनके पास सबूत नहीं है तो कोर्ट उनकी मांग खारिज कर देगी। हम उन्हें रोक नहीं सकते, क्योंकि यह उनकी आस्था है।’