देश में बेरोजगारी लगातार बढ़ रही है। बेरोजगारी के मुद्दे पर मोदी सरकार को घेरने वाली कांग्रेस, अब अपने ही गढ़ में रोजगार देने में फेल दिख रही है। बेरोजगारी के मामले में राजस्थान नंबर वन राज्य बना हुआ है। यहां बेरोजगारी दर 32.3 प्रतिशत हो गई है।
सेंटर ऑफ मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) की रिपोर्टों के अनुसार बेरोजगारी की दर राष्ट्रीय स्तर पर अब तक के उच्चतम स्तर पर है। इसके अनुसार कुछ राज्यों में स्थिति इतनी खराब है कि हर दूसरा या तीसरा ग्रेजुएट बेरोजगार है। हालांकि दूसरी तरफ कुछ राज्य ऐसे भी हैं जहां बेरोजगारी दर काफी कम है।
इस रिपोर्ट से पता चला है कि राजस्थान में बेरोजगारी की दर सबसे अधिक है। यहां हर दूसरे ग्रेजुएट के पास न्यूनतम मजदूरी तक कमाने का कोई साधन नहीं है। राजस्थान में बेरोजगार ग्रेजुएटों की संख्या सबसे अधिक है। ये यहां 20.67 लाख हैं। बेरोजगारों की कुल संख्या भी राजस्थान में सबसे अधिक है, जो कि 65 लाख के बराबर है। पिछले चार वर्षों में, राजस्थान में ग्रेजुएटों के बीच बेरोजगारी चार गुना बढ़ गई है। जबकि दिल्ली में पिछले चार वर्षों में यह संख्या 3 गुना से अधिक बढ़ गई है।
रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान में जहां 2016 में बेरोजगारी दर 3.8 प्रतिशत थी, वहीं 2022 में 32.3 प्रतिशत हो गई है। राजस्थान का ये अबतक का सबसे खराब प्रदर्शन है। राजस्थान में परीक्षाओं में गड़बड़ी बेरोजगारी का एक प्रमुख कारण है। हालांकि अशोक गहलोत की सरकार ने बजट में एक लाख सरकारी पदों पर भर्तियां निकालने की घोषणा की है। जिससे ये आंकडे़ सुधर सकते हैं।
राजस्थान की तरह ही हिमाचल प्रदेश, झारखंड और हरियाणा जैसे राज्यों में भी रोजगार के अवसरों की भारी कमी है। राजस्थान के बाद दूसरे नंबर पर हरियाणा, तीसरे नंबर पर झारखंड, चौथे नंबर में बिहार और पांचवें नंबर पर जम्मू कश्मीर है।
दूसरी ओर, उड़ीसा, मेघालय, छत्तीसगढ़, कर्नाटक और गुजरात में हालत सही है। गुजरात में, 13 में से 1 ग्रेजुएट बेरोजगार है। सबसे कम बेरोजगारी वाले राज्यों में उड़ीसा नंबर एक पर है। इसके बाद मेघालय, फिर छत्तीसगढ़ और कर्नाटक का नंबर आता है।