राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भले ही कांग्रेस अध्यक्ष पद की रेस से बाहर हो गए हो, लेकर राजस्थान में अभी सियासी संकट थमा नहीं है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक बयान देते हुए फिर से राजनीतिक हलचल तेज़ कर दी है। अशोक गहलोत ने कहा कि नए सीएम के नाम पर ही विधायक क्यों भड़क गए, इसका क्या कारण था? जिन्होंने हमारी सरकार बचाई उन्हें मैं धोखा नहीं दे सकता।

अशोक गहलोत ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “ऐसी नौबत क्यों आई कि विधायक भड़क गए? जब हमारे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने विधायकों से कहा कि चलो एक प्रस्ताव आया है उसे पास करवाना है, उसका कोई कायदा होता है। इस पर विधायक भड़क गए और बोलने लगे कि हमने इस्तीफा दे दिया, हमने ये कर दिया। इसके बाद प्रदेश अध्यक्ष ने विधायकों से कहा कि अशोक गहलोत फिर अध्यक्ष पद का फॉर्म नहीं भरेंगे। विधायकों ने कहा कि ना भरे फॉर्म। जैसलमेर के अंदर हमारे अभिभावक थे लेकिन अब हमारा अभिभावक दिल्ली जा रहा है।”

अशोक गहलोत ने कहा कि आप सोच सकते हो कि जब सरकार हमने बचाई थी, तब 102 लोग थे और मैं कैसे इन लोगों को धोखा दे सकता हूं। अशोक गहलोत ने कहा, “जब कोई मुख्यमंत्री बदलता है तब मुख्यमंत्री के साथ वाले 80 से 90% विधायक उसका साथ छोड़ देते हैं, क्योंकि उनको मंत्री बनना होता है, उनको काम पड़ता है। मैं इसे गलत नहीं मानता हूं। लेकिन जब यहां पर नए मुख्यमंत्री बनाने की बात हुई, तब सभी भड़क क्यों गए? मैंने तो आज तक ऐसा देखा ही नहीं। विधायकों को इतना क्या भय था?”

वहीं सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रही है। दरअसल राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जब सोनिया गांधी से मिलने पहुंचे थे, उस दौरान उनके हाथ में एक नोट था और अखबार मनोरमा के एक फोटोग्राफर ने इसकी तस्वीर खींच ली थी। उस नोट में साफ लिखा हुआ था कि सचिन पायलट (SP) ने बीजेपी के साथ मिलकर राजस्थान सरकार को गिराने का प्रयास किया था। इतना ही नहीं कांग्रेस विधायकों को पाला बदलने के लिए 10 से 50 करोड़ रुपए की पेशकश भी की गई थी।

राजस्थान के मुख्यमंत्री ने सबसे पहली लाइन अपने नोट में यह लिखी हुई थी कि जो कुछ राजस्थान में हुआ, वह उससे आहत हैं और वह माफी मांगते हैं। वहीं मीटिंग के बाद अशोक गहलोत ने कहा था कि राजस्थान में जो कुछ भी घटनाक्रम हुआ, उसके बाद वह अध्यक्ष का चुनाव नहीं लड़ना चाहते और यह नैतिक आधार पर सही फैसला है।