पिछले महीने देश के विभिन्न राज्यों में हुई हिंसा को लेकर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुरुवार (5 मई, 2022) को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर निशाना साधा है। उन्होंने चुनौती देते हुए कहा कि अगर दम है तो करौली समेत विभिन्न राज्यों में हुए दंगों की जांच करवाएं और मामले की जड़ तक जाएं। उन्होंने कहा कि कारणों का पता करने के लिए शाह को एक पैनल का गठन करना चाहिए।
बता दें कि राजस्थान के करौली में 2 अप्रैल को हिंसा हुई थी। इस दौरान हिंदू नव वर्ष के अवसर पर एक बाइक रैली पर कथित रूप से पथराव किया गया था। इस दौरान कई वाहनों और दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया था। इस हिंसा में 35 से अधिक लोग घायल हुए थे।
करौली में झड़पों को एक “प्रयोगशाला प्रयोग” करार देते हुए, अशोक गहलोत ने कहा, “हमने रामनवमी पर कोई दंगा नहीं होने दिया।” उन्होंने कहा, “करौली की तरह ही सात राज्यों में दंगे हुए, जिसकी जांच होनी चाहिए।” उदयपुर में संवाददाताओं से बात करते हुए उन्होंने कहा कि जांच से सब साफ हो जाएगा और भविष्य में इस तरह के दंगे नहीं होंगे।
राजस्थान में बार-बार हो रही हिंसा पर एक सवाल के जवाब में गहलोत ने कहा, “यह उनका (बीजेपी) आग भड़काने का प्रयास है क्योंकि वे अगला (विधानसभा) चुनाव हार रहे हैं।” उदयपुर में 13 से 15 मई तक होने वाले कांग्रेस के चिंतन शिविर की तैयारियों का जायजा लेने के बाद गहलोत ने कहा कि धर्म और जाति के नाम पर राजनीति खतरनाक है और इससे देश को कोई फायदा नहीं होता। देश की हालिया स्थिति पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा, “देश में हालात बहुत गंभीर हैं। जिस तरह से धर्म और जाति के नाम पर राजनीति की जा रही है, वह खतरनाक है। कुछ लोगों को यह अच्छा लग सकता है, लेकिन यह देश के लिए फायदेमंद नहीं है।”
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की तारीफ करते हुए गहलोत ने कहा कि उन जैसे नेताओं के प्रयासों से भारत 70 सालों तक अविभाजित रहा। कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि वर्तमान पीढ़ी इसके बारे में जानती नहीं है, जिसका भाजपा और आरएसएस के लोग फायदा उठा रहे हैं।
गहलोत ने कहा, “हर जगह, वे एक एजेंडा चला रहे हैं। यह करौली, राजगढ़ और जोधपुर में दंगों को बढ़ावा देने की उनकी योजना थी। हमने समय पर कार्रवाई की, इसलिए बात छिटपुट घटनाओं तक ही रह गई।” उन्होंने कहा कि कई लोगों को गिरफ्तार किया गया है और सरकार किसी भी कीमत पर राजस्थान में हिंसा नहीं होने देगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि वैचारिक लड़ाई का अपना स्थान है लेकिन यह राजनीतिक नेताओं की जिम्मेदारी है कि शांति और भाईचारा बनाए रखें ताकि किसी को चोट न पहुंचे।
