राजस्थान में सियासी संकट थमने के बाद हाईकोर्ट ने छह बसपा विधायकों के कांग्रेस में विलय के मामले में अहम फैसला सुनाया है। सोमवार (24 अगस्त, 2020) को कोर्ट ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और भाजपा नेता मदन दिलावर की याचिकाओं को खारिज कर दिया। जस्टिस महेंद्र गोयल की एकल पीठ ने कहा कि इस संबंध में अंतिम फैसला विधानसभा अध्यक्ष ही करेंगे। कोर्ट ने इस संबंध में बसपा से विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष याचिका दायर करने के लिए कहा है। इसके अलावा भाजपा नेता की याचिका पर मैरिट के आधार पर सुनवाई कर फैसला देने के लिए निर्देश दिए हैं।

विधानसभा अध्यक्ष का पक्ष रखने वाले वकील ने बताया कि अदालत ने मदन दिलावर की रिट याचिका का निपटारा करते हुए विधानसभा अध्यक्ष से 16 मार्च को दर्ज की गई शिकायत पर सुनवाई करने और तीन महीने के अंदर इसे गुण दोष के आधार पर निपटाने को कहा है।  दिलावर ने छह विधायकों- संदीप यादव, वाजिब अली, दीपचंद खेरिया, लाखन मीणा, जोगेंद्र अवाना और राजेंद्र गुढ़ा के कांग्रेस में विलय को चुनौती दी है।

हाईकोर्ट में बसपा और बीजेपी विधायक मदन दिलावर ने याचिका लगाकर विधानसभा अध्यक्ष के 18 सितम्बर 2019 के फैसले को चुनौती दी थी। इस दिन विधानसभा अध्यक्ष ने बसपा विधायकों के कांग्रेस में विलय को मंजूरी दी थी। दोनों याचिकाओं में हाईकोर्ट से सभी 6 विधायकों की सदस्यता रद्द करने का आग्रह किया गया था। हाईकोर्ट ने लंबी सुनवाई के बाद 14 अगस्त को मामले की सुनवाई पूरी कर ली थी। कोरोना महामारी के कारण फैसला नहीं सुनाया जा सकता था, इस पर सोमवार को फैसला सुना दिया गया।

जानें कब क्या हुआ-
16 सितंबर, 2019 को बसपा विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष को सत्तापक्ष पार्टी में शामिल होने की अर्जी दी।
18 सितंबर, 2019 को अध्यक्ष ने बसपा विधायकों को कांग्रेस में शामिल किया।
16 मार्च 2020 को भाजपा नेता मदन दिलावर ने स्पीकर के समक्ष शिकायत याचिका पेश की।
22 जुलाई 2020 को अध्यक्ष ने तकनीकी आधार पर भाजपा नेता की याचिका को खारिज किया।
24 जुलाई 2020 को भाजपा विधायक दिलावर ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। याचिका में उन्होंने स्पीकर द्वारा कार्यवाही नहीं करने को चुनौती दी।