राजस्थान में सात विधानसभा सीटों के लिए 13 नवंबर को होने वाले उपचुनाव में चार नए उम्मीदवार मैदान में हैं जो राज्य के विभिन्न प्रभावशाली राजनीतिक परिवारों से ताल्लुक रखते हैं। यह ऐसे समय में काफी चर्चा का विषय है, जब दोनों ही प्रमुख दल ‘परिवारवाद’ को लेकर बात करते रहे हैं। राजस्थान में होने जा रहे उपचुनाव के नतीजे 23 नवंबर को सामने आएंगे। कौन हैं रानीतिक परिवारों से संबंध रखने वाले उम्मीदवार? 

अमित ओला (झुंझुनू, कांग्रेस)

कांग्रेस ने झुंझुनू विधानसभा से  48 साल के अमित ओला को मैदान में उतारा है, जो ओला परिवार से तीसरी पीढ़ी के नेता हैं। उनके दादा शीशराम ओला कांग्रेस के दिग्गज नेता थे और झुंझुनू से पांच बार लोकसभा सांसद और झुंझुनू जिले के विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों से आठ बार विधायक रहे। अमित ओला के पिता बृजेंद्र ओला ने इस साल की शुरुआत में लोकसभा के लिए चुने जाने से पहले 2008 से 2023 के बीच लगातार चार बार झुंझुनू विधानसभा सीट जीती थी।

यह सीट भाजपा ने आखिरी बार 2003 में जीती थी। इसलिए, भाजपा के सामने इस सीट को जीतना एक चुनौती की तरह है।   अमित ओला पर अपने पिता की जगह लेने और उनके द्वारा खाली की गई सीट को बरकरार रखने का दबाव होगा। अपने पिता और दादा के अलावा, अमित की पत्नी आकांक्षा ओला भी विधानसभा चुनाव लड़ चुकी हैं। आकांक्षा ने 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में मॉडल टाउन विधानसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन आप और भाजपा उम्मीदवारों से काफी पीछे तीसरे स्थान पर रही थीं। वर्तमान में, वह महिला कांग्रेस में राष्ट्रीय सचिव हैं।

आर्यन जुबैर (रामगढ़, कांग्रेस)

रामगढ़  विधानसभा से 27 साल के आर्यन जुबैर के माता-पिता दोनों ही विधायक रह चुके हैं, इसलिए ऐसा लग रहा है कि वे कुछ समय से चुनावी राजनीति में उतरने का इंतजार कर रहे थे। अब वह खुद कांग्रेस के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं।

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1990 से रामगढ़ विधानसभा सीट पर या तो कांग्रेस के खान परिवार का कब्जा रहा है या फिर भाजपा के ज्ञानदेव आहूजा का। आर्यन के पिता जुबैर खान पहली बार 1990 में और फिर 1993, 2003 और 2023 में यहां से चुने गए थे, जबकि आहूजा ने 1998, 2008 और 2013 में सीट जीती थी। 

2008 और 2013 में लगातार दो चुनावों में जुबैर की हार के बाद, कांग्रेस ने 2018 में उनकी पत्नी साफिया जुबैर को मैदान में उतारा था जिन्होंने सीट जीती थी। लेकिन 2023 में कांग्रेस ने फिर से जुबैर को टिकट दिया, जो 20 साल के अंतराल के बाद  जीते। पिछले महीने उनका निधन हो गया था जिसके कारण रामगढ़ में उपचुनाव की जरूरत पड़ी है।

जग मोहन मीना (दौसा, भाजपा)

वरिष्ठ भाजपा नेता और मंत्री किरोड़ी लाल मीना के भाई जग मोहन मीना आरएएस अधिकारी हैं। वे आगामी उपचुनाव में दौसा विधानसभा सीट से भाजपा के उम्मीदवार हैं। यदि वे निर्वाचित होते हैं तो वह मीना परिवार से राजस्थान विधानसभा में तीसरे विधायक बन जाएंगे। किरोड़ी लाल के अलावा उनके भतीजे राजेंद्र मीना भी दौसा जिले के महवा से विधायक हैं।

जग मोहन के सक्रिय राजनीति में देर से प्रवेश का कारण उनका लंबा नौकरशाही करियर है। उन्होंने 2018 के चुनावों और उसके बाद के चुनावों में विभिन्न भाजपा उम्मीदवारों के लिए सक्रिय प्रचार शुरू किया। वे पेपर लीक और कानून व्यवस्था की स्थिति जैसे विभिन्न मुद्दों पर 2018-2023 के कार्यकाल के दौरान तत्कालीन सत्तारूढ़ कांग्रेस के खिलाफ राज्य भाजपा द्वारा आयोजित विभिन्न विरोध प्रदर्शनों और रैलियों का भी हिस्सा रहे थे। जग मोहन आपातकाल के समय से ही आरएसएस के सदस्य हैं और कहा जाता है कि उन्होंने जेपी आंदोलन में भी भाग लिया था।

कनिका बेनीवाल (खिंवसर, आरएलपी)

राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के प्रमुख हनुमान बेनीवाल की पत्नी कनिका बेनीवाल खिंवसर विधानसभा से पार्टी उम्मीदवार के रूप में उपचुनाव लड़ रही हैं, यह सीट बेनीवाल परिवार के पास इसके गठन के बाद से ही है। हनुमान पहली बार 2008 में भाजपा के टिकट पर 2013 में निर्दलीय के रूप में और फिर 2018 में अपनी पार्टी आरएलपी के उम्मीदवार के रूप में इस सीट से चुने गए थे।