UP Assembly Polls 2027: उत्तर प्रदेश में 2027 में विधानसभा चुनाव होंगे। लेकिन उससे पहले कांग्रेस राज्य में अपनी पकड़ को मजबूत बनाने के लिए तैयारियों में जुट गई है। जिसका सबसे बड़ा कारण है कि कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में बड़े संगठनात्मक बदलाव की तैयारी करते हुए राज्य और जिला समितियों को भंग कर दिया है। सूत्रों ने बताया कि गुरुवार को घोषित यह फैसला 2027 में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी को जमीनी स्तर पर मजबूत करना है। क्योंकि इस बार के लोकसभा में चुनाव में कांग्रेस ने छह सीटों पर जीत हासिल की थी। जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को एक मात्र रायबरेली की सीट हासिल हुई थी।
ऐसे में कांग्रेस अगर यूपी में अपनी स्थिति को और मजबूत करती है तो उसे समाजवादी पार्टी से सौदेबाजी करने में आसानी रहेगी और वो विधानसभा चुनाव 2027 को लेकर ज्यादा सीटों की डिमांड कर सकती है। क्योंकि यहां इस बात पर फोकस करना जरूरी है कि राहुल और प्रियंका का शुरू से मुख्य फोकस यूपी रहा है। राहुल गांधी ने 2004 से 2009 के बीच में यूपी में बहुत मेहनत की,लेकिन उम्मीद के मुताबिक कांग्रेस इस राज्य में जीत हासिल करने कामयाब नहीं हो सकी। हां, इतना जरूर है कि 2009 के लोकसभा में पार्टी ने जरूर कुछ अच्छा प्रदर्शन किया और उसने 22 सीटें हासिल कीं। लेकिन उसके बाद के सालों में कांग्रेस अपनी जमीन खोती चली गई है। यही वजह है कि राहुल गांधी एक बार फिर से यूपी में कड़ी मेहनत करना चाहते हैं।
2022 के यूपी विधानसभा की 403 सीटों में से उसके दो विधायक ही बचे हैं। कांग्रेस को उम्मीद है कि ये बदलाव उसकी मौजूदगी बढ़ाने में मदद करेंगे और गठबंधन की बातचीत के दौरान भी अहम भूमिका निभाएंगे। पार्टी को यह भी उम्मीद है कि भविष्य में सहयोगियों के साथ बातचीत के दौरान उसके नेताओं को व्यक्तिगत रूप से मजबूत सीटों पर आगे बढ़ाने के लिए ज़्यादा जगह मिल सकती है। उदाहरण के लिए, इस साल के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 17 सीटों से संतोष करना पड़ा। फिर, हाल ही में हुए उपचुनावों में कांग्रेस ने नौ सीटों में से किसी पर भी चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया और अपना समर्थन सपा को दिया।
पार्टी सूत्रों ने बताया कि लोकसभा में विपक्ष के नेता और रायबरेली से सांसद राहुल गांधी इस प्रक्रिया की निगरानी कर सकते हैं। वायनाड से सांसद और एआईसीसी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा दिसंबर 2023 तक कांग्रेस की यूपी प्रभारी थीं। अब यह पद अविनाश पांडे ने संभाल लिया है।
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि किसी भी संगठन का पुनर्गठन सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। पिछले पांच सालों में ज़्यादातर जिला और शहर समितियों में कोई बदलाव नहीं किया गया। कुछ में पिछले सात सालों में कोई बदलाव नहीं हुआ है। हम नई ऊर्जा का संचार करना चाहते हैं और लोकसभा चुनाव में मिली बढ़त को और आगे बढ़ाना चाहते हैं।
कांग्रेस प्रवक्ता अंशु अवस्थी ने कहा कि कांग्रेस 2027 के चुनावों को ध्यान में रखते हुए लंबी अवधि के लिए रणनीति बना रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस उत्तर प्रदेश में 2027 के विधानसभा चुनाव में पूरी तरह से नई रणनीति के साथ उतरेगी। राज्य की जनता कांग्रेस की ओर उम्मीदों से देख रही है। इस लिहाज से संगठन का पुनर्गठन जरूरी है। एक-एक करके प्रदेश कार्यसमिति, जिला, शहर और ब्लॉक अध्यक्षों की घोषणा की जाएगी।
कांग्रेस यह भी मानती है कि यूपी में बुनियादी नेतृत्व स्तर पर सुधार की जरूरत है। उत्तर प्रदेश के एक वरिष्ठ पार्टी नेता ने कहा कि भले ही गांधी और प्रियंका की अगुआई वाली यात्राओं ने अतीत में भीड़ को आकर्षित किया हो, लेकिन वे वोटों में तब्दील नहीं हो सके। नेता ने कहा कि हमें स्थानीय समीकरणों को ध्यान में रखना होगा और जमीन पर मजबूत इकाइयां बनानी होंगी। इस तरह, नेता पार्टी के संदेश को आगे बढ़ाने में सक्रिय होंगे। बता दें, कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में भंग की गई इकाइयों में 800 ब्लॉक समितियां, 135 जिला व नगर समितियां, 130 राज्य स्तरीय समितियां तथा विभिन्न प्रकार के सभी 46 प्रकोष्ठ व विभाग शामिल हैं।
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