पंजाब में किसानों का सरकार के खिलाफ गुस्सा थमता नजर नहीं आ रहा है। किसान मजदूर संघर्ष कमेटी-पंजाब के नेता सरवन सिंह पंधेर ने जेल से रिहा होते ही राज्य सरकार पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि अगर किसानों का विरोध केंद्र सरकार के खिलाफ था, तो फिर पंजाब सरकार ने उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों की? उन्होंने अपने टेंट और ट्रैक्टरों को हुए नुकसान की भरपाई की मांग की और साफ किया कि उनका आंदोलन जारी रहेगा।
राज्य सरकार पर जबरन कार्रवाई करने का आरोप
सरवन सिंह पंधेर इससे पहले भी पंजाब सरकार की आलोचना कर चुके हैं। रिहाई से पहले उन्होंने एक वीडियो जारी कर बहादुरगढ़ किले में प्रेस कॉन्फ्रेंस करने की जानकारी दी थी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने किसानों के मोर्चों को जबरन हटाया, जो निंदनीय है। वहीं, किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल और कई अन्य नेताओं को 19 मार्च को पंजाब पुलिस ने हिरासत में लिया था। हालांकि, 24 मार्च को 450 किसानों को रिहा किया गया, लेकिन किसानों का गुस्सा कम नहीं हुआ।
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सरकार की तरफ से मुख्यमंत्री भगवंत मान ने खुद को किसानों के प्रति सहयोगी भावना रखने वाला बताते हुए 450 और किसानों की रिहाई का आदेश दिया। पुलिस महानिरीक्षक सुखचैन सिंह गिल ने दावा किया कि अब तक 800 किसानों को छोड़ा जा चुका है। लेकिन किसानों का कहना है कि सरकार एक तरफ बातचीत का दिखावा कर रही है, तो दूसरी तरफ दमनात्मक कार्रवाई जारी रखी है।
संयुक्त किसान मोर्चा और भारतीय किसान यूनियन (लाखोवाल) के नेताओं ने सरकार द्वारा बुलाई गई बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि पंजाब सरकार आंदोलन को कुचलने के लिए बल प्रयोग कर रही है और नेताओं को गैरकानूनी तरीके से हिरासत में ले रही है। इसके विरोध में 28 मार्च को पूरे पंजाब में जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन करने की घोषणा की गई है।
पंजाब में किसानों और सरकार के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। 19 मार्च को पंजाब पुलिस ने शंभू और खनौरी बॉर्डर खाली कराए और प्रदर्शनकारियों के अस्थायी ढांचे तोड़ दिए। इसके बाद सरकार ने 21 मार्च को किसान नेताओं को बैठक के लिए बुलाया, लेकिन ज्यादातर नेताओं ने इसमें शामिल होने से इनकार कर दिया। किसानों का साफ कहना है कि वे अब राज्य सरकार के खिलाफ भी मजबूती से मोर्चा खोलेंगे और आंदोलन को और तेज करेंगे।